नसीरुद्दीन शाह सहित थिएटर और आर्ट से जुड़े 600 से ज्यादा सेलिब्रिटीज ने बीजेपी को वोट न डालने की अपील
नई दिल्ली, 5 April, 2019
180 फिल्ममेकर्स के बाद अब नसीरुद्दीन शाह सहित थिएटर और आर्ट से जुड़े 600 से ज्यादा सेलिब्रिटीज ने बीजेपी को वोट न डालने की अपील की है। सभी सेलिब्रिटीज ने एक पत्र लिखकर लोगों से कहा - अपने वोट का उपयोग कर बीजेपी और उसके सहयोगियों को सत्ता से बाहर करें। एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक सभी सेलेब्स ने कहा- भारत और इसके संविधान की अवधारणा खतरे मैं है। बीजेपी को वोट न करें'। ये लेटर गुरुवार को जारी किया गया था। ये लेटर करीब 12 भाषाओं में तैयार करके आर्टिस्ट यूनाइट इंडिया की वेबसाइट पर शेयर किया गया है।और क्या है पत्र में ?
पत्र में कहा गया है- "आगामी लोकसभा चुनाव देश के इतिहास के सबसे अधिक गंभीर चुनाव है. आज गीत, नृत्य, हास्य खतरे में है. हमारा न्यारा संविधान खतरे में है. सरकार ने उन संस्थाओं का गला घोंट दिया है जहां तर्क, बहस और असहमति का विकास होता है. किसी लोकतंत्र को सबसे कमजोर और सबसे अधिक वंचित लोग को सशक्त बनाना चाहिए."
"कोई लोकतंत्र बिना सवाल, बहस और सजग विपक्ष के बिना काम नहीं कर सकता. इन सभी को मौजूद सरकार ने पूरी ताकत से कुचल दिया है. सभी बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए वोट करें. संविधान का संरक्षण करें और कट्टरता, घृणा और निष्ठुरता को सत्ता से बाहर करें."
इस पत्र पर शांता गोखले, महेश एलकुंचेवार, महेश दत्तानी, अरूंधती नाग, कीर्ति जैन, अभिषेक मजूमदार, कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह, लिलेट दुबे, मीता वशिष्ठ, मकरंद देशपांडे और अनुराग कश्यप के साइन हैं.
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180 फिल्ममेकर्स भी है विरोध में
मोदी का विरोध करने वाली मुहिम में अब फिल्ममेकर्स की तादाद 100 से बढ़कर 180 तक पहुंच गई है। इन सबने मिलकर ऑनलाइन पिटीशन 'सेव डेमोक्रेसी कैंपेन' शुरू किया है। इससे जुड़े आंदोलनकारियों का मानना है कि उनकी अपील अब सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि वो अपनी बात देश के गांवों तक भी पहुंचाएंगे। बता दें कि 'सेव डेमोक्रेसी कैंपेन' का आइडिया मलयाली मेकर सनल शशिधरन के जहन में आया। बाद में एफटीआईआई (फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया) में विभिन्न आंदोलनों को कंडक्ट करने वाले प्रतीक वत्स और मराठी फिल्ममेकर देवाशीष मखीजा बोर्ड पर आए।
सनल शशिधरन के मुताबिक - 'आर्टिस्टों के लिए डर का माहौल है। मेरी फिल्म 'सेक्सी दुर्गा' को कोर्ट से मंजूरी मिलने के बावजूद स्क्रीन नहीं होने दिया गया। बाद में उसका नाम 'एस दुर्गा' कर दिया गया। देवाशीष मखीजा की 'भोंसले' को खरीदने से प्रोड्यूसर्स और वेब प्लेटफॉर्म हिचक रहे हैं। सिर्फ इस आशंका और आरोप के बेसिस पर कि फिल्म एंटी सिस्टम और सोसायटी के बिलीव सिस्टम को आहत कर सकती है, जो असल में बेबुनियाद है। इसके शिकार फिल्मकार अब एकजुट हो रहे हैं। इसके अलावा आर्ट एंड कल्चर से जुड़े संस्थानों और विभागों को सरकार अपने डंडे से हांकने की कोशिश करती रही है। इन सब चीजों से तंग आकर हमने यह कैंपेन शुरू किया। हमारा मकसद समाज के उन लोगों तक अपनी बात पहुंचानी है, जो बीजेपी के बंटवारे के एजेंडे को एक्सपोज करें।'
हमने कैम्पेन शुरू करने में थोड़ी देर कर दी
देवाशीष मखीजा ने बताया- 'हमारी कोशिश मुहिम को गांवों तक ले जाने की है। हमारे ग्रुप में अब एक्टिविस्टों की तादाद 100 से 180 पर पहुंच गई है। हर कोई फासीवादी ताकतों से लड़ने के आइडियाज सामने ला रहा है। हम उन पर रणनीति तैयार कर रहे हैं। हालांकि हम लोगों से एक बड़ी चूक यह हुई कि हमने यह कैम्पेन दिसंबर से शुरू करना था। अगर हम ऐसा करते तो अब तक देश के ज्यादातर इलाकों तक अपनी आवाज पहुंचा पाते।
अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटा जा रहा
देवाशीष मखीजा के मुताबिक, हम अपनी फिल्मों में मजहब और प्रांत के नाम पर बंटवारे करने वालों को एक्सपोज करते रहे हैं। मेरी 'भोंसले' फिल्म बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और नीदरलैंड्स तक में स्क्रीन हुई। शिव सेना ने मुंबई में माइग्रेंट्स को भगाने की जो मुहिम चलाई थी, उस पर मैंने फिल्म में स्टैंड लिया था। मेरी फिल्म के हीरो मनोज बाजपेयी हैं। मगर इंडिया में यह रिलीज नहीं हो पा रही। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स भी इसे नहीं खरीद रहे, क्योंकि सरकार की तरफ से उन्हें एंटी इस्टैब्लिशमेंट वाली फिल्में न लेने के निर्देश हैं। अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटा जा रहा था। तभी हमने इस कैंपेन को शुरू किया'।
हम जैसों को तो काम करने में ही दिक्कत आ रही है
प्रतीक वत्स ने कहा- 'सेंसरशिप के चलते आर्ट का गला घोंटा जा रहा था। एफटीआईआई में सरकारी मनमानी चल रही थी। हम जैसों को तो काम करने में ही दिक्कत आ रही है। ऐसे में हमने सरकार के खिलाफ ऑनलाइन पिटीशन की मुहिम चलाई। अब थिएटर और राइटर बिरादरी से 200 लोगों ने इस मुहिम की शुरूआत की है। जाहिर है दूर-दराज के लोग भी बीजेपी के असल चेहरे से रूबरू हो जाएंगे'।
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