!! देख अपनी बर्बाद फसल !!
देखकर अपनी बरबाद फसल किसान फिर से चल पड़ा।
पता नही कल क्या होगा, फिर से खेत पर निकल पड़ा ।।
इतनी बरबादी ही बहुत न थी, तो भी मंहगे बिज लेने चल दिया ।
है विश्वास उसका गजब का, इसलिए इतना दु:ख झेल गया।।
क्या लब्ज है, उसके होटो पर कि हारे है ये साल तो क्या, पर किस्मत अपनी हारे नही।
अपनी किस्मत आजमाने फिर से खेत जोतने निकल पड़ा ।।
उसे पता है, ऐसा कोई नही जिसने उसको ठगा नही।
फीर भी है मजबुत इतना, किसी से वो टुटा नही।।
एक फसल बरबादी ने उसको कई साल पिछे धकेल दिया ।
फीर भी उसी उमंग, खुशी से जलायेगा दिपावली का दिया ।।
बस थोड़ी सी खुशी मे लाखो दु:ख छुपाऐ निकल पड़ा ।
जय हो अन्नदाता
जय हो अन्नदाता
हमेशा खाना खाते वक़्त ये प्रार्थना जरूर करें...
हे प्रभु जिनके खेतों से ये अन्न आया है उनके बच्चे कभी भूखे ना सोयें...
कोई टिप्पणी नहीं