किसान का दर्द
किसान का दर्द
ईस साल mp मे सोयाबीन नस्ट हो गई गेहूं ओर आलू का उत्पादन मोसम अधिक गर्म होने से कम हुआ ओर जब फसल आयी तब आलू के भाव 5से6रूपये थे उसके बाद किसान ने सारा दम प्याज पे लगाया ओर सुखे कि वजह से पानी के लिए हर गाँव मे करोड़ों के बोर टुबवेल लगवा डाले जेसे तेसे फसल आयी तो भाव ने कमर तोड़ डाली ओर उपर से हर तरफ मंहगाई बड रही हे
ओर ये हाल पीछले कई वर्षो से कभी ओले गिर रहे है कभी पाला अधिक ठंड कभी सूखा कभी अतिवृष्टि
किसान अंदर से खोखला होता जा रहा है ।
जिस प्रकार से बाकी चिजे महंगी हो रही है उस हिसाब से किसानों को फायदा नही मील रहा है।
पीछले पांच सालों मे स्कूल कि फिस बस ट्रेन का किराया बीजली का बील
पेट्रोल डिजल खाद दवाई मजदूर बारदान भाड़ा हम्माली ओर कई चिजे बड़ी उसके मुकाबले
उदाहरण के तोर पर जो सोयाबीन पांच साल पहले 3000रू सीजन पर बीकती थी आज भी वही बीक रही है
अगर समय रहते सही कदम नही उठाये तो हालात गंभीर होंगे
जब हजारों करोड बड़े उधोग पतियो के माफ किया जा सकता है तो किसानों के क्यों नहीं
जब बीसलरी का पानी दस रूपये लिटर बीक सकता है तो किसान कि सोयाबीन पचास गेहूँ बीस ओर आलू प्याज पंद्रह रूपये किलो क्यों नही
अगर किसानों के पास पैसे रहेंगे तो असली मेक इन इंडिया सार्थक होगा वरना मेक करोगे उसे कोन खरीदें गा
क्या कभी किसी ने विरोध किया कि टाटा का नमक बीस रूपये किलो क्यों बीकता है
जब ईस देश मे नमक ओर पानी 20रूपये किलो बीक सकता है तो फिर किसान कि चिजो के भाव बडने पर क्यों घडियाली आसू बहाते हो
किसान ईमानदार ओर बेचारा सीधा होता हे न कभी धरना न प्रदर्शन बस प्रकृति ओर सरकार की मार झेलता रहता है ।
सरकारे लाख कोशिश करले मगर जबतक गावों मे खुशहाली नही होगी भारत का विकास नहीं होगा
चाहे आप 20%लोगों के लिये बुलेट ट्रेन चलावो या स्मार्ट सीटी बनाओ
।।।।।। एक दुखी किसान ।।।।।।।।।।
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