पड़े, सम्पूर्ण जानकारी ,, पपीता की उन्नत किस्में , विशेषताऐ व अधिकतम उपज
पड़े, सम्पूर्ण जानकारी ,, पपीता की उन्नत किस्में , विशेषताऐ व अधिकतम उपज (Complete information, advanced varieties of papaya, characteristics and maximum yield)
वैसे तो भारत मे बहुत सी उन्नत किस्मे है पर कुछ महत्वपूर्ण है जो इस प्रकार है !
तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयम्बटूर से विकसित किस्में उत्तर भारत में भी सफलतापूर्वक लगायी जा सकती हैं| जो इस प्रकार है, जैसे-
को 1 ,- यह एक डायोशियस किस्म है, जो वर्ष 1972 में राँची किस्म से चयनित की गयी थी, इस पपीता किस्म के पौधे छोटे होते हैं और फल मध्यम आकार के गोलाकार होते हैं ! जिसका औसत वजन 1.0 से 1.5 किलोग्राम होता है , कुल घुलनशील ठोस 10 से 12 ब्रिक्स होता है, फल का गूदा पीले रंग का होता है, फल भूमि सतह से 60 सेंटीमीटर ऊपर से लगना प्रारम्भ करते है! यह ताजे फल की उत्कृष्ट किस्म है, जिसमें पपेन की महक नहीं के बराबर होती है, इस किस्म की प्रति पौधा उपज 40 किलोग्राम तक होती है !
को 2 ,- यह एक डायोशियस किस्म है, यह किस्म वर्ष 1979 में क्षेत्रीय उत्कृष्ट पौधों से चयनित किस्म है, फल का वजन 1.25 से 1.5 किलोग्राम पाया जाता है, फल में पपेन अच्छी मात्रा में 4 से 6 ग्राम प्रतिफल पाया जाता है! फल बड़े आकार के होते हैं और बीज की कैविटी कम होती है तथा कुल घुलनशील ठोस 11 से 12 ब्रिक्स होता है , इस किस्म से प्रति पौधा औसत उपज 80 से 90 फल प्रति वर्ष होती है और यह प्रजाति 250 से 300 किलोग्राम पपेन एक हेक्टेयर में पैदा कर सकती है!
ये भी पड़े :- पपीता की खेती से लाखो की कमाई कर सकता है किसान , ऐसे करें खेती ....
को 3 ,- यह एक संकर किस्म है, जो को- 2 तथा सनराइज़ सोलो के संकरण से विकसित की गयी है ! यह गाइनोडायोशियस किस्म है, जो वर्ष 1983 में ताजे फल के लिए विकसित की गई थी , इसमें 90 से 120 फल प्रति पौध प्रति वर्ष प्राप्त हो सकते हैं , इसके फल मध्यम आकार के 500 से 800 ग्राम औसत वजन वाले होते हैं ! फल लम्बे-गोल होते हैं, फल का गूदा पीले से नारंगी रंग का होता है ! इस पपीता किस्म के फल खाने के लिए सर्वोत्तम है ! इस किस्म से प्रति पौधा औसत उपज 90 से 120 फल होती है !
को 4 ,- यह को- 1 और वाशिंग्टन के संकरण द्वारा विकसित किस्म है ,फल का गूदा मोटा तथा पीले रंग का होता है, पौधे के सभी भागों में बैंगनी रंग पाया जाता है ! यह डायोशियस प्रकार की किस्म है ! फल का औसत वजन 1.0 से 1.5 किलोग्रामऔर कुल घुलनशील ठोस 12 ब्रिक्स होता है, एक पौधा औसत रूप से 80 से 90 फल 2 वर्ष के फसल चक्र में देता है ।
को 5 ,- यह वर्ष 1985 में वाशिंग्टन किस्म से चयनित किस्म है ! इसमें पपेन अधिक मात्रा में पाया जाता है , जिसमें अधिक प्रोटियोलाइटिक गतिविधि होती है तथा अधिक प्रोटीन (72 प्रतिशत) होता है , इसमें 14 से 15 ग्राम प्रतिफल सूखा पपेन पाया जाता है ! यह पपीता की किस्म 2 वर्ष के फसल चक्र में 75 से 80 फल देती है, जिसका प्रति फल औसत वजन 1.5 किलोग्राम होता है और इसके गूदे में कुल घुलनशील ठोस 12 से 13 ब्रिक्स होता है, इस किस्म से 2 वर्ष के फसल चक्र में औसत उपज 75 से 80 फल प्रति पौधे से होती है !
को 6 ,- यह किस्म वर्ष 1986 में जायन्ट प्रजाति से चयनित की गयी थी, यह किस्म भी डायोशियस प्रकार की है, जो ताजा फल खाने एवं पपेन पैदा करने के लिये उगायी जाती है, इसकी उपज 80 से 90 फल प्रति पौधा 2 वर्ष के फसल चक्र में होती है ! फल का औसत वजन 1.5 से 2.0 किलोग्राम एवं कुल घुलनशील ठोस 12 से 13 ब्रिक्स होता है ,
को 7 ,- यह गाइनोडायोशियस किस्म है, जो वर्ष 1997 में विकसित की गई संकर किस्म है! यह किस्म 100 से 110 फल प्रति पौधा उपज देती है! इसके फल लम्बे, अण्डाकार होते हैं और गूदा लाल रंग का होता है तथा कुल घुलनशील ठोस 12 से 13 ब्रिक्स होता है, यह प्रजाति करीब 113 फल प्रति पौधे से उपज देती है !
राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर, बिहार से विकसित किस्में
पूसा डेलिशियस , - यह पपीता की एक गाइनोडायोशियस किस्म है ! इसके पौधे मध्यम ऊँचाई और अच्छी उपज देने वाले होते हैं , यह एक अच्छे स्वाद, सुगन्ध एवं गहरे नारंगी रंग का फल देने वाली किस्म है, जिसकी औसत उपज 58 से 61 किलोग्राम प्रति पौधा तक होती है, इसमें कुल घुलनशील ठोस 10 से 12 ब्रिक्स होता है, इस किस्म के फल का औसत वजन 1.0 से 2.0 किलोग्राम होता है, पौधों में फल जमीन की सतह से 70 से 80 सेंटीमीटर की ऊँचाई से लगना प्रारम्भ कर देते हैं ! पौधे लगाने के 260 से 290 दिनों बाद इस किस्म में फल लगना प्रारम्भ हो जाते है!
पूसा मैजेस्टी ,- यह पपीता की एक उत्तम किस्म है, यह भी गाइनोडायोशियस किस्म है, जो पपेन उत्पादन के लिए उपयुक्त है और को- 2 के समतुल्य है ! इसके फल मध्यम आकार के गोल एवं अच्छी भण्डारण क्षमता वाले होते हैं, पकने पर इसका गूदा ठोस एव पीले रंग का होता है तथा एक पेड़ से 40 किलोग्राम फल प्राप्त होते है, इसके गूदे की मोटाई 3.5 सेंटीमीटर होती है, यह प्रजाति सूत्रकृमि अवरोधी है !
पूसा ड्वार्फ ,- यह पपीता की डायोशियस किस्म है, इसके पौधे छोटे होते हैं और फल का उत्पादन अधिक देते है ! फल अण्डाकार 1.0 से 2.0 किलोग्राम औसत वजन के होते हैं, पौधे में फल ज़मीन की सतह से 25 से 30 सेंटीमीटर ऊपर से लगना प्रारम्भ हो जाते हैं, सघन बागवानी के लिए यह प्रजाति अत्यन्त उपयुक्त है, इसकी पैदावार 40 से 50 किलोग्राम प्रति पौधा हैं, फल के पकने पर गूदे का रंग पीला होता है !
पूसा जायन्ट ,- इस पपीता किस्म का पौधा मजबूत, अच्छी बढ़वार वाला और तेज हवा सहने की क्षमता रखता है, यह भी एक डायोशियस किस्म है ! फल बड़े आकार के 2.5 से 3.0 किलोग्राम औसत वजन के होते हैं, जो कैनिंग उद्योग के लिए उपयुक्त हैं ! प्रति पौधा औसत उपज 30 से 35 किलोग्राम तक होती है, यह किस्म पेठा और सब्जी बनाने के लिये भी काफी उपयुक्त है !
पूसा नन्हा ,- यह पपीता की एक अत्यन्त बौनी किस्म है ! जिसमें 15 से 20 सेंटीमीटर ज़मीन की सतह से ऊपर फल लगना प्रारम्भ हो जाते है, गृह वाटिका व गमलों में छत पर भी यह पौधा लगाया जा सकता है ! यह डायोशियस प्रकार की किस्स है, जो 3 वर्षों तक फल दे सकती है ! इसमें कुल घुलनशील ठोस 10 से 12 ब्रिक्स होता है, इस किस्म से प्रति पौधा 25 किलोग्राम फल प्राप्त होता है !
भारतीय बागवानी शोध संस्थान, बंगलौर से विकसित किस्में
कूर्ग हनी ड्यू ,- यह पपीता की किस्म भारतीय बागवानी शोध संस्थान, बंगलौर के चेथाली केन्द्र से विकसित की गयी है और हनी ड्यू किस्म से चयनित है, यह गाइनोडायोशियस पौधा है, जो दक्षिण भारत की जलवायु में अच्छी फसल देता है ! इसके फल लम्बे, अण्डाकार आकार के और मोटे गूदेदार होते हैं ! इस किस्म की शुद्धता बनाये रखने के लिए इसे अन्य किस्मों से पृथक करके लगाना चाहिये, जिससे पर परागण न हो सके , इस किस्म से प्रति पौधा औसत पैदावार 70 किलोग्राम तक होती है !
पिंक फ्लेश स्वीट ,- यह भी पपीता की एक गाइनोडायोशियस किस्म है, जो स्वादिष्ट होती है और गूदे का रंग लाल होता है, इसमें कुल घुलनशील ठोस 12 से 14 ब्रिक्स होता है !
सूर्या ,- यह पपीता की गाइनोडायोशियस किस्म है, जिसका औसत वजन 500 से 700 ग्राम तक होता है, इसमें कुल घुलनशील ठोस 10 से 12 ब्रिक्स तक होता है ! यह सोलो और पिंक फ्लेश स्वीट द्वारा विकसित संकर किस्म है ! इस किस्म की प्रति पौधा औसत पैदावार 55 से 56 किलोग्राम तक होती है और फल की भंडारण क्षमता भी अच्छी हैं !
अन्य किस्में
सनराइज़ सोलो ,- सनराइज़ सोलो किस्म एक उन्नत अधिक उपज देने वाली चयनित किस्म है, जो संकर किस्म लाइन- 8 तथा करिया सोलो (ओहु) से चयनित की गयी है, इसके फल का गूदा लाल से नारंगी रंग का होता है ! फल मध्यम आकार का होता है, जिसका वजन 425 से 620 ग्राम प्रति फल होता है !
वाशिंग्टन ,- इस किस्म का पौधा अच्छी बढ़वार वाला होता है, यह महाराष्ट्र की प्रसिद्ध पपीता की किस्म है ! जिसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है, इसकी प्रमुख विशेषता यह है, कि इसके पौधे के कुछ भाग बैंगनी रंग के होते हैं, केवल फल और पत्तियाँ ही हरी होती हैं, यह पपेन उत्पादन के लिए एक प्रचलित किस्म है ! इसके फल अण्डाकार, मीठे, स्वादिष्ट एवं सुगंधित होते हैं, फल का औसत वजन 1.0 से 1.5 किलोग्राम होता है, फल का गूदा पीले-लाल रंग का होता है तथा इसमें कुछ ही बीज होते हैं, फल की भण्डारण क्षमता अधिक होती है !
रॉची ,- यह किस्म राँची (झारखण्ड) के आसपास छोटानागपुर में पायी जाती है, इसमें नर, मादा और उभयलिंगी तीनों प्रकार के पेड़ मिलते हैं ! इसके फल काफी बड़े होते हैं और उभयलिंगी फल का वजन 15 किलोग्राम तक पाया गया है, मादा पेड़ से एक फल का वजन 5 से 8 किलोग्राम तक पाया गया है, जो दूर से देखने पर कद्दू जैसा दिखाई देता है लेकिन इसका बीज बाहर कही भी ले जाकर बोने से फल का वजन घट जाता है|
वैसे तो भारत मे बहुत सी उन्नत किस्मे है पर कुछ महत्वपूर्ण है जो इस प्रकार है !
तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयम्बटूर से विकसित किस्में उत्तर भारत में भी सफलतापूर्वक लगायी जा सकती हैं| जो इस प्रकार है, जैसे-
को 1 ,- यह एक डायोशियस किस्म है, जो वर्ष 1972 में राँची किस्म से चयनित की गयी थी, इस पपीता किस्म के पौधे छोटे होते हैं और फल मध्यम आकार के गोलाकार होते हैं ! जिसका औसत वजन 1.0 से 1.5 किलोग्राम होता है , कुल घुलनशील ठोस 10 से 12 ब्रिक्स होता है, फल का गूदा पीले रंग का होता है, फल भूमि सतह से 60 सेंटीमीटर ऊपर से लगना प्रारम्भ करते है! यह ताजे फल की उत्कृष्ट किस्म है, जिसमें पपेन की महक नहीं के बराबर होती है, इस किस्म की प्रति पौधा उपज 40 किलोग्राम तक होती है !
को 2 ,- यह एक डायोशियस किस्म है, यह किस्म वर्ष 1979 में क्षेत्रीय उत्कृष्ट पौधों से चयनित किस्म है, फल का वजन 1.25 से 1.5 किलोग्राम पाया जाता है, फल में पपेन अच्छी मात्रा में 4 से 6 ग्राम प्रतिफल पाया जाता है! फल बड़े आकार के होते हैं और बीज की कैविटी कम होती है तथा कुल घुलनशील ठोस 11 से 12 ब्रिक्स होता है , इस किस्म से प्रति पौधा औसत उपज 80 से 90 फल प्रति वर्ष होती है और यह प्रजाति 250 से 300 किलोग्राम पपेन एक हेक्टेयर में पैदा कर सकती है!
ये भी पड़े :- पपीता की खेती से लाखो की कमाई कर सकता है किसान , ऐसे करें खेती ....
को 3 ,- यह एक संकर किस्म है, जो को- 2 तथा सनराइज़ सोलो के संकरण से विकसित की गयी है ! यह गाइनोडायोशियस किस्म है, जो वर्ष 1983 में ताजे फल के लिए विकसित की गई थी , इसमें 90 से 120 फल प्रति पौध प्रति वर्ष प्राप्त हो सकते हैं , इसके फल मध्यम आकार के 500 से 800 ग्राम औसत वजन वाले होते हैं ! फल लम्बे-गोल होते हैं, फल का गूदा पीले से नारंगी रंग का होता है ! इस पपीता किस्म के फल खाने के लिए सर्वोत्तम है ! इस किस्म से प्रति पौधा औसत उपज 90 से 120 फल होती है !
को 4 ,- यह को- 1 और वाशिंग्टन के संकरण द्वारा विकसित किस्म है ,फल का गूदा मोटा तथा पीले रंग का होता है, पौधे के सभी भागों में बैंगनी रंग पाया जाता है ! यह डायोशियस प्रकार की किस्म है ! फल का औसत वजन 1.0 से 1.5 किलोग्रामऔर कुल घुलनशील ठोस 12 ब्रिक्स होता है, एक पौधा औसत रूप से 80 से 90 फल 2 वर्ष के फसल चक्र में देता है ।
को 5 ,- यह वर्ष 1985 में वाशिंग्टन किस्म से चयनित किस्म है ! इसमें पपेन अधिक मात्रा में पाया जाता है , जिसमें अधिक प्रोटियोलाइटिक गतिविधि होती है तथा अधिक प्रोटीन (72 प्रतिशत) होता है , इसमें 14 से 15 ग्राम प्रतिफल सूखा पपेन पाया जाता है ! यह पपीता की किस्म 2 वर्ष के फसल चक्र में 75 से 80 फल देती है, जिसका प्रति फल औसत वजन 1.5 किलोग्राम होता है और इसके गूदे में कुल घुलनशील ठोस 12 से 13 ब्रिक्स होता है, इस किस्म से 2 वर्ष के फसल चक्र में औसत उपज 75 से 80 फल प्रति पौधे से होती है !
को 6 ,- यह किस्म वर्ष 1986 में जायन्ट प्रजाति से चयनित की गयी थी, यह किस्म भी डायोशियस प्रकार की है, जो ताजा फल खाने एवं पपेन पैदा करने के लिये उगायी जाती है, इसकी उपज 80 से 90 फल प्रति पौधा 2 वर्ष के फसल चक्र में होती है ! फल का औसत वजन 1.5 से 2.0 किलोग्राम एवं कुल घुलनशील ठोस 12 से 13 ब्रिक्स होता है ,
को 7 ,- यह गाइनोडायोशियस किस्म है, जो वर्ष 1997 में विकसित की गई संकर किस्म है! यह किस्म 100 से 110 फल प्रति पौधा उपज देती है! इसके फल लम्बे, अण्डाकार होते हैं और गूदा लाल रंग का होता है तथा कुल घुलनशील ठोस 12 से 13 ब्रिक्स होता है, यह प्रजाति करीब 113 फल प्रति पौधे से उपज देती है !
पूसा डेलिशियस , - यह पपीता की एक गाइनोडायोशियस किस्म है ! इसके पौधे मध्यम ऊँचाई और अच्छी उपज देने वाले होते हैं , यह एक अच्छे स्वाद, सुगन्ध एवं गहरे नारंगी रंग का फल देने वाली किस्म है, जिसकी औसत उपज 58 से 61 किलोग्राम प्रति पौधा तक होती है, इसमें कुल घुलनशील ठोस 10 से 12 ब्रिक्स होता है, इस किस्म के फल का औसत वजन 1.0 से 2.0 किलोग्राम होता है, पौधों में फल जमीन की सतह से 70 से 80 सेंटीमीटर की ऊँचाई से लगना प्रारम्भ कर देते हैं ! पौधे लगाने के 260 से 290 दिनों बाद इस किस्म में फल लगना प्रारम्भ हो जाते है!
पूसा मैजेस्टी ,- यह पपीता की एक उत्तम किस्म है, यह भी गाइनोडायोशियस किस्म है, जो पपेन उत्पादन के लिए उपयुक्त है और को- 2 के समतुल्य है ! इसके फल मध्यम आकार के गोल एवं अच्छी भण्डारण क्षमता वाले होते हैं, पकने पर इसका गूदा ठोस एव पीले रंग का होता है तथा एक पेड़ से 40 किलोग्राम फल प्राप्त होते है, इसके गूदे की मोटाई 3.5 सेंटीमीटर होती है, यह प्रजाति सूत्रकृमि अवरोधी है !
पूसा ड्वार्फ ,- यह पपीता की डायोशियस किस्म है, इसके पौधे छोटे होते हैं और फल का उत्पादन अधिक देते है ! फल अण्डाकार 1.0 से 2.0 किलोग्राम औसत वजन के होते हैं, पौधे में फल ज़मीन की सतह से 25 से 30 सेंटीमीटर ऊपर से लगना प्रारम्भ हो जाते हैं, सघन बागवानी के लिए यह प्रजाति अत्यन्त उपयुक्त है, इसकी पैदावार 40 से 50 किलोग्राम प्रति पौधा हैं, फल के पकने पर गूदे का रंग पीला होता है !
पूसा जायन्ट ,- इस पपीता किस्म का पौधा मजबूत, अच्छी बढ़वार वाला और तेज हवा सहने की क्षमता रखता है, यह भी एक डायोशियस किस्म है ! फल बड़े आकार के 2.5 से 3.0 किलोग्राम औसत वजन के होते हैं, जो कैनिंग उद्योग के लिए उपयुक्त हैं ! प्रति पौधा औसत उपज 30 से 35 किलोग्राम तक होती है, यह किस्म पेठा और सब्जी बनाने के लिये भी काफी उपयुक्त है !
पूसा नन्हा ,- यह पपीता की एक अत्यन्त बौनी किस्म है ! जिसमें 15 से 20 सेंटीमीटर ज़मीन की सतह से ऊपर फल लगना प्रारम्भ हो जाते है, गृह वाटिका व गमलों में छत पर भी यह पौधा लगाया जा सकता है ! यह डायोशियस प्रकार की किस्स है, जो 3 वर्षों तक फल दे सकती है ! इसमें कुल घुलनशील ठोस 10 से 12 ब्रिक्स होता है, इस किस्म से प्रति पौधा 25 किलोग्राम फल प्राप्त होता है !
भारतीय बागवानी शोध संस्थान, बंगलौर से विकसित किस्में
कूर्ग हनी ड्यू ,- यह पपीता की किस्म भारतीय बागवानी शोध संस्थान, बंगलौर के चेथाली केन्द्र से विकसित की गयी है और हनी ड्यू किस्म से चयनित है, यह गाइनोडायोशियस पौधा है, जो दक्षिण भारत की जलवायु में अच्छी फसल देता है ! इसके फल लम्बे, अण्डाकार आकार के और मोटे गूदेदार होते हैं ! इस किस्म की शुद्धता बनाये रखने के लिए इसे अन्य किस्मों से पृथक करके लगाना चाहिये, जिससे पर परागण न हो सके , इस किस्म से प्रति पौधा औसत पैदावार 70 किलोग्राम तक होती है !
पिंक फ्लेश स्वीट ,- यह भी पपीता की एक गाइनोडायोशियस किस्म है, जो स्वादिष्ट होती है और गूदे का रंग लाल होता है, इसमें कुल घुलनशील ठोस 12 से 14 ब्रिक्स होता है !
सूर्या ,- यह पपीता की गाइनोडायोशियस किस्म है, जिसका औसत वजन 500 से 700 ग्राम तक होता है, इसमें कुल घुलनशील ठोस 10 से 12 ब्रिक्स तक होता है ! यह सोलो और पिंक फ्लेश स्वीट द्वारा विकसित संकर किस्म है ! इस किस्म की प्रति पौधा औसत पैदावार 55 से 56 किलोग्राम तक होती है और फल की भंडारण क्षमता भी अच्छी हैं !
अन्य किस्में
सनराइज़ सोलो ,- सनराइज़ सोलो किस्म एक उन्नत अधिक उपज देने वाली चयनित किस्म है, जो संकर किस्म लाइन- 8 तथा करिया सोलो (ओहु) से चयनित की गयी है, इसके फल का गूदा लाल से नारंगी रंग का होता है ! फल मध्यम आकार का होता है, जिसका वजन 425 से 620 ग्राम प्रति फल होता है !
वाशिंग्टन ,- इस किस्म का पौधा अच्छी बढ़वार वाला होता है, यह महाराष्ट्र की प्रसिद्ध पपीता की किस्म है ! जिसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है, इसकी प्रमुख विशेषता यह है, कि इसके पौधे के कुछ भाग बैंगनी रंग के होते हैं, केवल फल और पत्तियाँ ही हरी होती हैं, यह पपेन उत्पादन के लिए एक प्रचलित किस्म है ! इसके फल अण्डाकार, मीठे, स्वादिष्ट एवं सुगंधित होते हैं, फल का औसत वजन 1.0 से 1.5 किलोग्राम होता है, फल का गूदा पीले-लाल रंग का होता है तथा इसमें कुछ ही बीज होते हैं, फल की भण्डारण क्षमता अधिक होती है !
रॉची ,- यह किस्म राँची (झारखण्ड) के आसपास छोटानागपुर में पायी जाती है, इसमें नर, मादा और उभयलिंगी तीनों प्रकार के पेड़ मिलते हैं ! इसके फल काफी बड़े होते हैं और उभयलिंगी फल का वजन 15 किलोग्राम तक पाया गया है, मादा पेड़ से एक फल का वजन 5 से 8 किलोग्राम तक पाया गया है, जो दूर से देखने पर कद्दू जैसा दिखाई देता है लेकिन इसका बीज बाहर कही भी ले जाकर बोने से फल का वजन घट जाता है|
कोई टिप्पणी नहीं