पशुओं का दिसम्बर में रखे विशेष ध्यान
अगर आप के पास पशु है तो दिसम्बर माह में क्या करें ?
- पशुओं को अन्त: कृमिनाशक दवाई पशु चिकित्सक की सलाह से समय – समय पर पिलायें !
- पशुओं को संतुलित आहार के साथ – साथ खनिज मिश्रण प्रतिदिन खिलायें !
- बरसीम अधिक खिलाने से पशुओं को अफारा हो सकता है, अफारे से बचाव के लिए बरसीम के साथ सूखा चारा मिला कर खिलायें !
- पशुओं को सर्दी से बचाव का उचित प्रबन्ध करें !
- पशुओं को खुरपका – मुंहपका रोग से बचाव का टीका लगवायें !
- दुधारू पशुओं को थैनेला रोग से बचाने के लिए पूरा दूध निकाले और दूध दोहन के बाद थनों को कीटाणु नाशक घोल में डुबोयें !
- बरसीम फसल को सर्दियों में 15 से 20 दिनों के अन्तर पर पानी अवश्य लगायें !
- जई फसल में पहला पानी 21 – 25 दिनों पर लगायें !
- पशु का आहार संतुलित एवं नियंत्रित हो . उसे दिन में दो बार 8-10 घंटे के अंतराल पर चारा पानी देना चाहिए . इससे पाचन क्रिया ठीक रहती है एवं बीच में जुगाली करने का समय भी मिल जाता है.
- पशु का आहार सस्ता, साफ़, स्वादिष्ट एवं पाचक हो . चारे में 1/3 भाग हरा चारा एवं 2/3 भाग सूखा चारा होना चाहिए.
- पशु को जो आहार दिया जाए उसमें विभिन्न प्रकार के चारे-दाने मिले हों.
- चारे में सूखा एवं सख्त डंठल नहीं हो बल्कि ये भली भांति काटा हुआ एवं मुलायम होना चाहिए.
- इसी प्रकार जौ,चना, मटर, मक्का इत्यादि दली हुई हो तथा इसे पक्का कर या भिंगो कर एवं फुला कर देना चाहिए.
- दाने को अचानक नहीं बदलना चाहिए बल्कि इसे धीरे-धीरे एवं थोड़ा-थोड़ा कर बदलना चाहिए.
- पशु को उसकी आवश्यकतानुसार ही आहार देना चाहिए. कम या ज्यादा नहीं .
- नांद एकदम साफ होनी चाहिए, नया चारा डालने से पूर्व पहले का जूठन साफ़ कर लेना चाहिए.
- गायों को 2-2.5 किलोग्राम शुष्क पदार्थ एवं भैंसों को 3.0 किलोग्राम प्रति 100 किलोग्राम वजन भार के हिसाब से देना चाहिए !
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