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    99 लाख किसानों का 10 दिन में ऋणमाफ करना था, 81 दिन बाद केवल 20 लाख का दावा



    March 9/2019
    राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने सरकार बनने के केवल 10 दिन के भीतर सभी 99 लाख कृषकों का सम्मूर्ण ऋणमाफ करने का दावा किया गया था, लेकिन अब 81 दिन बीतने के बाद भी सरकार खुद दावा कर रही है कि केवल 20 लाख को ही ऋणमाफी प्रमाण पत्र बांटे गए हैं, यानी करीब 3 माह में भी कर्जमाफी का वादा और दावा झूठा ही निकला है।
    दैनिक अखबारों में सरकार विज्ञापनों के माध्यम से सरकार खुद ही इस बात को स्वीकार कर रही है। दूसरी तरफ सरकार का यह भी दावा है कि अब तक 20 लाख किसानों को 7500 करोड़ रुपए से ज्यादा का ऋणमाफ कर दिया। इसको रिकॉर्ड लाभ बताकर भी सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, लेकिन इसी के साथ यह भी तथ्य सरकार ने दिए हैं कि प्रतिदिन औसतन महज एक लाख किसानों को ऋणमाफी प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं।

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    ओर किसानों का पैसा भी डुबोया 

    इधर, केंद्र सरकार के द्वारा एक फरवरी को घो​षित किए गए किसान सम्मान निधि योजना के तहत राज्य सरकार ने करीब एक लाख किसानों का डेटा केंद्र सरकार को भेजा है, जिसके चलते लाभ के दायरे में आने वाले करीब 26 लाख किसानों को पहली किस्त का फायदा नहीं मिल पाया है, यह लाभ आगे मिलेगा भी नहीं है, यानी किसान की 2000 रुपए की पहली किस्त राज्य सरकार की नाकामी के चलते डूब गई।
    बता दें कि इस योजना के तहत लघु एवं सीमांत किसानों को हर साल 6000 हजार रुपए देने का ऐलान केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है। यह पैसा किसानों के खातों में 2000 रुपए की तीन समान किस्तों में दिया जाएगा, जिसकी पहली किस्त 26 फरवरी से शुरू हो चुकी है।
    इस बात का दावा करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर का कहना है कि एक तरफ तो किसान कर्जमाफी का झूठा ढोला पीटा जा रहा है, वहीं केंद्र सरकार के द्वारा दिए जाने वाले लाभ से राज्य सरकार द्वारा कृषकों को महारुम रखा जा रहा है।
    इसके साथ ही सीकर में बीते 11 दिन से धरने पर बैठे किसानों का दावा है कि उनसे पैसे भी ​ले लिए और उनके हिस्से का ऋणमाफ करने का काम भी कर दिया। दो किसानों ने अपनी बैंक की डायरियां ही बैंक द्वारा नहीं दिए जाने का हवाला देते हुए बताया है कि सरकारी ऋणमाफी से हर सहकारिता समिति में कम से कम 10 लाख रुपए का गबन किया गया है।
    सीकर में धरने पर बैठे कॉमरेड पेमाराम का कहना है कि राज्य की सरकार किसानों के प्रति पूरी तरह से असंवेदनशील है, इसको किसानों से कोई मतलब नहीं है। ऐसे ही आरोप पेमाराम केंद्र सरकार पर भी लगाते हैं।

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