कहा गए ओ बुद्धिजीवी जो बोलते है , कि देश की तरक्की में किसान ही रोड़ा है ...
किसानों के साथ ये ठगी कोन कर रहा है ?
किसान का गेहूं ₹18 किलो लेकिन सुपरमार्केट में जाते ही वह ₹46 किलो कैसे हो गया ??
कल कुछ एहसान फरामोश किसान को ही दोषी बता रहे थे देश के सुपर पावर ना बन पाने का..
अब देख लो बेशर्मो की जो गेहूं हमारे से 1840 रूपए किवंटल खरीदा गया था वह तुम पूंजीपतियों के मॉल में जाकर ₹ 4600 कुंटल हो गया..
अरे 50 पैसे प्रति किलो आलू खरीद कर आगे उसको चिप्स के रूप में रंगीन लिफाफे में डाल कर ₹200 किलो बेचते हो और फिर भी कहते हो कि देश की तरक्की में किसान ही रोड़ा है ...
देश की तरक्की में रोड़ा वह लुटेरे दलाल हैं जो AC कमरे में बैठकर कालाबाजारी करके किसान की मेहनत को लूटते हैं और आम आदमी तक कई गुना भाव पर वह चीज बेच कर घर बैठे करोड़ों अरबों के वारे न्यारे करते हैं..
और धिक्कार है ऐसे बुद्धिजीवी परजीवी लोगों पर जो किसान की फसल का भाव बढ़ाने के समय रोना शुरू कर देते हैं लेकिन सुपरमार्केट में जाकर उसी चीज को कई गुना भाव पर हंसते-हंसते ले लेते हैं..
कहानिया पड़ने के लिए नीचे click करे :-
1 रुपये वाला गुटखा 10 रुपये का हो गया ।
5 रुपये वाला कोल्डड्रिंक 15 रुपये का हो गया ।
50 रुपये वाली दारू 500 रुपये की हो गयी ।
100 रुपये वाली मूवी 450 रुपये की हो गयी ।
1 रुपये वाली सिगरेट 10 रुपये की हो गयी ।
5 रुपये वाला कोल्डड्रिंक 15 रुपये का हो गया ।
50 रुपये वाली दारू 500 रुपये की हो गयी ।
100 रुपये वाली मूवी 450 रुपये की हो गयी ।
1 रुपये वाली सिगरेट 10 रुपये की हो गयी ।
फिर भी पिएंगे लेकिन किसानों से भिन्डी , तोरी ,आलू , टमाटर , प्याज आज भी सबको
5 रुपये किलो ही चाहिए ,
जैसे किसानों का खून पीना सब का जन्म सिद्ध अधिकार बन गया है।
कुछ लोगो की वजह से मेरा देश डूब रहा है ।
पहले खुद बदलो फिर देश बदलेगा ।
अरे जिस किसान का पैदा किया अनाज खाते हो कम से कम उसका एहसान तो मानो..
Nice
जवाब देंहटाएंThanks friend
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