अफसरशाही का ये आलम है , पटवारी ने किसान की पीठ पर बैठ कर नाला पार किया ,
18/4/2019
कही अफसर किसानों को परेशान कर रहे है , तो राजनेता भी केवल वोट के लिए ही किसान किसान कर रहे है !
भोपाल। प्रदेश में पिछले दिनों आई प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान के सटीक आंकड़े सामने नहीं आए ,उससे पहले ही सियासत शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जहां ट्वीट के जरिए गुजरात के मृतकों के लिए शोक जताया, जिस पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आपत्ति ली। जबाव में पीएम ने मप्र के मृतकों के लिए ट्वीट कर दिया। इसके उलट प्राकृतिक आपदा से किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ है, उपार्जन केंद्रों पर फसल भीग गई है। जिस पर किसी राजनीतिक दल को फुर्सत नहीं है।
प्रदेश में किसान शुरू से ही सत्ता का केंद्र रहा है। कर्जमाफी के जरिए कांग्रेस सत्ता में लौटी और अब लोकसभा चुनाव में फिर किसान के नाम पर वोट बटौरे जा रहे हैं। जबकि किसान ही हालत बेहद खराब है। न तो किसानों को समय पर भुगतान हो रहा है और नहीं उन्हें किसी तरह की आर्थिक सहायता मिल रही है। किसानों की समस्याओं को लेकर कमलनाथ सरकार की ईंट से ईंट बजाने का ढिंढौरा पीटने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी अब सिर्फ वोट बटौरने में जुट गए हैं। उन्होंने अभी तक किसानों के लिए न तो कोई आंदोलन किया और न ही कोई प्रदर्शन किया।
लोगों की मौत पर सियासत
प्रदेश में अभी तक प्राकृतिक आपदा की वजह से दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। लेकिन राजनेता मौतों पर सियासत में जुट गए हैं, उनके पास मृतकों के परिजनों के पास जाकर ढांढस बंधाने का वक्त नहीं है।
अफसरशाही का ये आलम है , पटवारी ने किसान की पीठ पर बैठ कर नाला पार किया ,
शिवपुरी में बेमौसम बारिश ने किसानों पर कहर बरसाया है । ओले और बारिश से गेहूं की फसलें तबाह हो गई है । फसलों को हुए नुकसान का सर्वे करने के लिए प्रशासन ने निर्देश दिए हैं । जिसके चलते अब सरकारी अफसर खेतों में पहुँच रहे हैं । लेकिन इस संकट की घडी में किसानों का दुःख समझने के बजाय कर्मचारी उन पर ही बोझ पर बनकर शर्मनाक प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं । मामला है प्रदेश के शिवपुरी जिले का, जहां एक पटवारी किसान की पीठ पर लद कर सर्वे करने पहुंचा ।
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दरअसल, गुरुवार को शिवपुरी जिले के बामौरकलां में बारिश और ओलों से तबाह हुई गेहूं की फसल का सर्वे पटवारी प्रदीप जैन बामौरकलां हलके में पहुंचे, लेकिन खेतों तक पहुँचने से पहले एक नाला पार करना था ।
लेकिन पटवारी को जूते गीले होने का डर था और उन्होंने जूते खोलकर नाला पार करने की जहमत नहीं उठाई । बल्कि किसान की पीठ पर लद गए , अब किसान जो कि पहले से ही दुखी और फसल नुकसान से परेशान है, लेकिन सरकारी आदमी को मजबूरन अपनी पीठ पर लादकर नाला पार करवाया ।
बाद मे पटवारी साहब ने फसलों के नुकसान का जायजा ले लिया ।
पटवारी के किसान की पीठ पर लदकर नाला पार करने का मामल कलेक्टर अनुग्रह पी तक भी पहुँच गया है, और उनके द्वारा जांच के बाद उचित कार्रवाई की बात कही गई है ।
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