मध्य प्रदेश में एक बार फिर किसान हड़ताल पर है , सरकार घुटनों पर ...
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29/5/2019
भोपाल :- मध्य प्रदेश में एक बार फिर किसानों की सियासत तेज हो गई है। किसानों की मांग और समस्याओं को लेकर आज से किसान संगठन 3 दिन की हड़ताल पर हैं। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले हो रहे किसानों के इस आंदोलन के तहत किसानों को शहरों में दूध, फल-सब्जी लाने से मना किया गया है। इसके लिए किसान संगठनों ने शहरों की नाकेबंदी की है।
किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव के मुताबिक, किसान अपनी 7 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। अनिल यादव के मुताबिक, प्रदेश सरकार ने जब किसानों की कर्जमाफी की घोषणा की तो किसानों को बैंकों ने डिफॉल्ट घोषित कर दिया, जिसके बाद अब किसानों को बैंकों से लोन नहीं मिल पा रहा है।
जिसके चलते किसान खाद और बीज नहीं खरीद पा रहा है।
इसलिए वो सरकार से मांग कर रहे हैं कि वो समितियों को निर्देश दें कि किसानों को खाद उपलब्ध हो। वहीं किसान संगठन समर्थन मूल्य को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं। किसानों को आज भी उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है, जिससे किसान कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं।
किसान यूनियन का दावा है कि उनके साथ बड़ी संख्या में किसान हैं और वो खुद ही शहर में फल-सब्जी और दूध लेकर नहीं आ रहे हैं। इस बीच खबर है
कहीं शांति-कहीं प्रदर्शन :-
प्रदेश के महानगर ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर में हर जगह शांति है. भोपाल में ज़रूर भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसानों ने प्रदर्शन किया. प्रतीकात्मक रूप में एक किसान को दूध से नहलाकर विरोध जताया. किसान आंदोलन के कारण दूध-सब्जी और फल की सप्लाई पर असर पड़ने की आशंका थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. मंडियों में आम दिनों की तरह उपज की आवक रही.
कृषि मंत्री का बयान :-
उधर सरकार में कृषि मंत्री सचिन यादव का बयान आया है. उन्होंने कहा है कि किसानों की समस्यायों के प्रति कांग्रेस सरकार गंभीर है.किसान संगठनों की मांग पर सरकार अहम फैसले लेगी. उम्मीद है मुख्यमंत्री के साथ चर्चा में कोई हल निकल आएगा.किसान यूनियन ने मध्य प्रदेश में 29 से 31 मई तक आंदोलन का एलान किया है. यूनियन कर्जमाफी में तेजी, उपज का सही मूल्य और किसान पेंशन जैसे लेकर आंदोलन बुलाया है. पिछला किसान आंदोलन-जून 2017 में एमपी में हुए किसान आंदोलन ने जहां सरकार की नीद उड़ा दी थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अन्नजल त्याग कर किसानों को मनाया था. उसके बाद अब फिर किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलाहै. भारतीय किसान यूनियन ने आज से 3 दिन का आंदोलन शुरू किया है.
कहानिया पड़ने के लिए नीचे click करे :-
किसानों की मांग
- स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग - कृषि को लाभ का धंधा बनाया जाए
- मंडी में समर्थन मूल्य पर उपज खरीदी
- सभी किसानों का 2 लाख तक कर्ज़माफ़
- बेची गयी उपज का दाम नकदी में दिया जाए
किसानों के दूसरा धड़ा राष्ट्रीय किसान मज़दूर महासंघ आज के इस आंदोलन से दूर है. महासंंघ एक से 5 जून तक आंदोलन की तैयारी में है. हालांकि संघ के नेता शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्काजी का कहना है आंदोलन से पहले कमलनाथ सरकार से बातचीत के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी. महासंघ का प्रतिनिधि मंडल आज सीएम मुलाकात कर किसानों की समस्याओं पर चर्चा कर रहा है.
29/5/2019
भोपाल :- मध्य प्रदेश में एक बार फिर किसानों की सियासत तेज हो गई है। किसानों की मांग और समस्याओं को लेकर आज से किसान संगठन 3 दिन की हड़ताल पर हैं। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले हो रहे किसानों के इस आंदोलन के तहत किसानों को शहरों में दूध, फल-सब्जी लाने से मना किया गया है। इसके लिए किसान संगठनों ने शहरों की नाकेबंदी की है।
किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव के मुताबिक, किसान अपनी 7 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। अनिल यादव के मुताबिक, प्रदेश सरकार ने जब किसानों की कर्जमाफी की घोषणा की तो किसानों को बैंकों ने डिफॉल्ट घोषित कर दिया, जिसके बाद अब किसानों को बैंकों से लोन नहीं मिल पा रहा है।
जिसके चलते किसान खाद और बीज नहीं खरीद पा रहा है।
इसलिए वो सरकार से मांग कर रहे हैं कि वो समितियों को निर्देश दें कि किसानों को खाद उपलब्ध हो। वहीं किसान संगठन समर्थन मूल्य को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं। किसानों को आज भी उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है, जिससे किसान कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं।
किसान यूनियन का दावा है कि उनके साथ बड़ी संख्या में किसान हैं और वो खुद ही शहर में फल-सब्जी और दूध लेकर नहीं आ रहे हैं। इस बीच खबर है
कहीं शांति-कहीं प्रदर्शन :-
प्रदेश के महानगर ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर में हर जगह शांति है. भोपाल में ज़रूर भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसानों ने प्रदर्शन किया. प्रतीकात्मक रूप में एक किसान को दूध से नहलाकर विरोध जताया. किसान आंदोलन के कारण दूध-सब्जी और फल की सप्लाई पर असर पड़ने की आशंका थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. मंडियों में आम दिनों की तरह उपज की आवक रही.
कृषि मंत्री का बयान :-
उधर सरकार में कृषि मंत्री सचिन यादव का बयान आया है. उन्होंने कहा है कि किसानों की समस्यायों के प्रति कांग्रेस सरकार गंभीर है.किसान संगठनों की मांग पर सरकार अहम फैसले लेगी. उम्मीद है मुख्यमंत्री के साथ चर्चा में कोई हल निकल आएगा.किसान यूनियन ने मध्य प्रदेश में 29 से 31 मई तक आंदोलन का एलान किया है. यूनियन कर्जमाफी में तेजी, उपज का सही मूल्य और किसान पेंशन जैसे लेकर आंदोलन बुलाया है. पिछला किसान आंदोलन-जून 2017 में एमपी में हुए किसान आंदोलन ने जहां सरकार की नीद उड़ा दी थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अन्नजल त्याग कर किसानों को मनाया था. उसके बाद अब फिर किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलाहै. भारतीय किसान यूनियन ने आज से 3 दिन का आंदोलन शुरू किया है.
कहानिया पड़ने के लिए नीचे click करे :-
- स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग - कृषि को लाभ का धंधा बनाया जाए
- मंडी में समर्थन मूल्य पर उपज खरीदी
- सभी किसानों का 2 लाख तक कर्ज़माफ़
- बेची गयी उपज का दाम नकदी में दिया जाए
किसानों के दूसरा धड़ा राष्ट्रीय किसान मज़दूर महासंघ आज के इस आंदोलन से दूर है. महासंंघ एक से 5 जून तक आंदोलन की तैयारी में है. हालांकि संघ के नेता शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्काजी का कहना है आंदोलन से पहले कमलनाथ सरकार से बातचीत के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी. महासंघ का प्रतिनिधि मंडल आज सीएम मुलाकात कर किसानों की समस्याओं पर चर्चा कर रहा है.
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