मिट्टी व फसल की निगरानी प्रणाली में क्रांति ला सकते हैं ड्रोन (Drys can bring revolution in soil and crop monitoring system)
कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं ड्रोन (Drones can revolutionize agriculture)
मानवरहित हवाई वाहनों (UAVs) - जिसे ड्रोन के रूप में भी जाना जाता है – में कृषि क्षेत्र पर स्मूथ स्काउटिंग, सटीक जानकारी एकत्र करने और वास्तविक समय के आधार पर डेटा प्रेषित करने की क्षमता है। इस क्षमता का उपयोग भूमि और फसल स्वास्थ्य के आकलन के लिए क्षेत्रीय/ स्थानीय स्तर पर, पोस्ट-इवेंट मैनेजमेंट और मुआवजे का निपटान करने के अलावा नुकसान की मात्रा,प्रकार और गंभीरता के साथ फसल बीमा योजनाओं के तहत सेटलमेंट आदि कृषि क्षेत्र के फायदे के लिए किया जा सकता है।
कृषि उन सबसे बढ़िया क्षेत्रों में से एक है जहां ड्रोन कई प्रमुख चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। 2050 तक दुनिया की आबादी 900 करोड़ पहुंचने का अनुमान है, विशेषज्ञों का मानना है कि इसी अवधि के दौरान कृषि की खपत में करीब 70 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, मौसम की घटनाएं अत्यधिक बढ़ रही हैं, जो उत्पादकता में अतिरिक्त बाधाएं पैदा कर रही हैं।
किसानों को भोजन उगाने, उत्पादकता बढ़ाने और स्थिरता को प्राथमिकता देने के लिए क्रांतिकारी रणनीतियों को शामिल करना होगा। ड्रोन इनमें सरकारों, प्रौद्योगिकी नेताओं और उद्योगों के बीच निकट सहयोग के साथ समाधान का एक हिस्सा हैं।
कृषि ड्रोन के लिए छह विकल्प (Six options for agricultural drones)
वास्तविक समय डाटा एकत्रण और प्रसंस्करण के आधार पर नियोजन और रणनीति के साथ ड्रोन टेक्नोलॉजी कृषि उद्योग को एक उच्च-प्रौद्योगिकी बदलाव प्रदान करेगी।
फसल चक्र के दौरान हवाई और ग्राउंड-आधारित ड्रॉन्स का इस्तेमाल निम्न छह तरीकों से किया जाएगा:
1. मृदा और क्षेत्र विश्लेषण (Soil and field analysis) :-
फसल चक्र की शुरुआत में ड्रोन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वे मिट्टी के शुरुआती विश्लेषण के लिए सटीक 3-डी मानचित्र तैयार करते हैं और बीज बोने के नियोजन के लिए योजना तैयार करने में उपयोगी हैं। रोपण के बाद, ड्रोनों का उपयोग करके मिट्टी का विश्लेषण किया जा सकता है। इस मिट्टी के डेटा का इस्तेमाल सिंचाई के कार्यक्रमों और नाइट्रोजन स्तर के प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।
2. रोपण (Planting) :-
कुछ स्टार्टअप ने ऐसी ड्रोन-रोपण प्रणालियां बनाई हैं जो कि रोपण लागत को 85 प्रतिशत तक कम कर सकती हैं। ये सिस्टम्स न केवल बीज बो सकते हैं बल्कि मिट्टी में पौधे के पोषक तत्वों की आपूर्ति भी कर सकते हैं।
3. फसल पर छिड़काव (Crop spraying) :-
ड्रोन जमीन को स्कैन कर सकते हैं और तरल की सही मात्रा स्प्रे कर सकते हैं, जमीन से दूरी को माप सकते हैं और वास्तविक और संतुलित कवरेज के साथ छिड़काव कर सकते हैं। इससे कीटनाशक के उपयोग की दक्षता में वृद्धि होती है और भूजल में रसायनों की मात्रा कम हो सकती है। वास्तव में, विशेषज्ञों का अनुमान है कि पारंपरिक यंत्रों के मुकाबले ड्रोन के साथ हवाई छिड़काव को पांच गुना तेजी से पूरा किया जा सकता है।
4. फसल की निगरानी (Crop monitoring) :-
फसल की निगरानी में कम दक्षता से किसानों के लिए बाधा पैदा हो सकती है। मॉनिटरिंग चुनौतियों में तेजी से अप्रत्याशित मौसम की स्थिति के कारण कई गुना वृद्धि हुई है, जो खतरे और खेत के रखरखाव के खर्चों को बढ़ाता है। पहले, सैटेलाइट इमेजरी ने सबसे उन्नत मॉनिटरिंग फॉर्म की पेशकश की थी। लेकिन इसमें कमियां थीं। चित्रों के लिए पहले से ऑर्डर करना पड़ता था, एक दिन में केवल एक बार ही चित्र लिया जा सकता था, और वह अस्पष्ट होता था। इसके अलावा, सेवाएँ बेहद महंगी थी और चित्रों की गुणवत्ता के कारण विशेष रूप से कुछ दिनों तक इसे भुगतना पड़ा। आज, ड्रोन द्वारा क्लिक की गई खेतों की तस्वीरें एक फसल के सटीक विकास को दिखा सकती हैं और इनसे उत्पादन की अक्षमताओं का पता चलता है, जिससे बेहतर फसल प्रबंधन को सुगम किया जा सकता है।
5. सिंचाई (Irrigation) :-
कुछ विशेष प्रकार के सेंसर वाले ड्रोन यह पहचान सकते हैं कि खेत के कौन से भाग शुष्क हैं या सुधार की जरूरत है। इसके अतिरिक्त, एक बार जब फसल बढ़ रही है, ड्रोन वनस्पति सूचकांक की गणना करने की अनुमति देते हैं, जो कि फसल के संबंधित घनत्व और स्वास्थ्य का वर्णन करता है, जो गर्मी के संकेत को दिखाता है और ऊर्जा की मात्रा या फसल द्वारा उत्सर्जित गर्मी की मात्रा बताता है।
6. स्वास्थ्य मूल्यांकन (Health assessment) :-
समय पर फसल स्वास्थ्य और जीवाणु धब्बे या फफूंदी के संक्रमण का आकलन करना अति आवश्यक है। ड्रोन में ऐसे डिवायसेस होते हैं जो यह पहचान सकते हैं कि कौन से पौधों ने हरे रंग और एनआईआर प्रकाश की विभिन्न मात्रा दर्शायी है। यह जानकारी बहु-स्तरीय तस्वीरें उत्पन्न कर सकती है जो पौधों में परिवर्तन को ट्रैक करती हैं और उनके स्वास्थ्य का संकेत देती हैं। एक त्वरित प्रतिक्रिया पूरे क्षेत्र को बचा सकता है।
इसके अलावा, जैसे ही एक बीमारी की पहचान की जाती है, किसान उचित उपाय भी कर सकते हैं और अधिक कुशलता से निगरानी कर सकते हैं। यह दो संभावनाएं रोग को दूर करने के लिए पौधे की क्षमता बढ़ाती हैं। और फसल की विफलता के मामले में, किसान बीमा दावों के लिए हानि को अधिक कुशलतापूर्वक दस्तावेजों में दर्ज कर सकेंगे।
भारत में कृषि में ड्रोन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है ?
(How are drones used in agriculture in India ?)
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने ड्रोन विकसित किए हैं जो प्राकृतिक आपदाओं जैसे बारिश, अत्यधिक गर्मी, हवा में नमी या ओलों के तूफान के कारण फसल क्षति का सटीक आकलन कर सकते हैं। "सेंसग्री: सेंसर आधारित स्मार्ट एग्रीकल्चर" नामक शोध परियोजना है। इसका उद्देश्य ड्रोन-आधारित फसल और मिट्टी स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली को विकसित करना है जिससे रिमोट सेंसिंग सेंसर का उपयोग किया जाता है। इस तकनीक को बड़े पैमाने पर अनुप्रयोगों के लिए उपग्रह-आधारित तकनीकों के साथ एकीकृत किया जा सकता है।
निकट भविष्य में, UAVs में कई ड्रोन शामिल हो सकते हैं जो सामूहिक रूप से कृषि निगरानी कार्यों से निपट सकते हैं। हाइब्रिड एरियल-ग्राउंड ड्रोन डेटा इकट्ठा कर सकते हैं और विभिन्न प्रकार के कार्यों को पूरा कर सकते हैं।
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