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    कृषि क्षेत्र पर दबाव के कारण मिट्टी की उर्वरता में कमी तथा समाधान(Due to the pressure on the agriculture sector, soil fertility reduction and solutions)


    कृषि क्षेत्र पर दबाव के कारण मिट्टी की उर्वरता में कमी तथा समाधान(Due to the pressure on the agriculture sector, soil fertility reduction and solutions)

        देश भर में भोजन की मांग बढ़ने के कारण रासायनिक उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल और जैविक खाद के कम इस्तेमाल व एक ही फसल की खेती बार बार करने आदि से कृषि क्षेत्र पर दबाव बढ़ रहा है और मिट्टी की उर्वरता में कमी आ रही है।
        नतीजतन, इन सभी गतिविधियों का प्रतिकूल प्रभाव फसल विकास, उपज, गुणवत्ता और उत्पादकता पर देखा गया है। इसलिए, विभिन्न माध्यमों के उचित उपयोग से मिट्टी की उर्वरता और उत्पादन में सुधार का रखरखाव वक्त की जरूरत है।
    उर्वरकों के वैज्ञानिक उपयोग

    1. जैव उर्वरक (Bio fertilizer) 
    • जैविक खाद के साथ अगर जैव उर्वरक का प्रयोग किया जाता है, तो मृदा उर्वरता में सुधार होगा।
    • जब आंशिक रूप से विघटित फार्म खाद को मिट्टी में मिलाया जाता है, तो यह फसल को पूर्ण लाभ प्रदान नहीं करता है। यह आम कारण है कि आंशिक रूप से विघटित खाद के अपघटन में मिट्टी की शक्ति बर्बाद हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप मुख्य फसल को नाइट्रोजन की आपूर्ति कम हो जाती है।

    2. मिट्टी में जैविक कार्बन को बढ़ाने के लिए क्या करें (What to do to increase organic carbon in soil)
    • कृषि पद्धतियों की संख्या कम करें और मिट्टी और जल संरक्षण को बढ़ावा देने और भूमि कटाव को कम करने के लिए लैंड लेवलिंग से बचें।
    • अंतर-फसल के रूप में दालों को उपयोग करें।
    • जैविक मल्च के साथ मिट्टी को कवर करें।
    • फसल के अवशेषों को जलाने से बचें। इसके बजाय इन्हें मिट्टी में विघटित होने दें।
    • जैविक खादों (फार्म खाद/ कम्पोस्ट/ वर्मीकंपोस्ट) और हरी खाद का नियमित उपयोग करें।
    • खेत की सीमाओं पर ऐसे पौधों को लगाएँ जो हवा के तेज प्रवाह का विरोध कर सकते हों। कुक्कुट और मवेशियों का पालन केवल एक किसान की आय में वृद्धि ही नहीं करेगा, अपितु खेत के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली खाद भी प्रदान करेगा।

    3. रासायनिक खादें (Chemical fertilizers)

    किसानों को यह समझने की जरूरत है कि रासायनिक उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल से उच्च उत्पादन की गारंटी नहीं है। जरूरी नहीं है कि मिट्टी में शामिल रासायनिक उर्वरक फसलों की जड़ प्रणाली तक पहुंच सकें। पौधे केवल कुछ पोषक तत्वों का उपयोग करते हैं जबकि बाकी पानी के साथ धुल जाते हैं। कुछ पोषक तत्व मिट्टी में मिलते हैं, जबकि कुछ नाइट्रोजन युक्त पोषक तत्व वाष्प में परिवर्तित होते हैं और हवा में उड़ जाते हैं। यही कारण है कि रासायनिक उर्वरकों का उपयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। वे फसल पोषण के संतुलन को बिगाड़ने के अलावा मिट्टी को भी प्रदूषित करते हैं।


    4. उर्वरक उपयोग की दक्षता (Fertilizer use efficiency)

    नाइट्रोजन- 30-50%

    फास्फोरस-15-25%

    सल्फर-15-25%

    आयरन-1-2%

    पोटाश- 50-60%

    बोरान- 1-5%

    5. फसल की उर्वरता में गिरावट के पीछे कारण (Reasons behind the decline in crop fertility)
    • पीएच या तो छह से कम या आठ से अधिक
    • मिट्टी में कैल्शियम कार्बोनेट की 10 प्रतिशत से अधिक उपस्थिति।
    • मिट्टी की पानी वहन करने की कम क्षमता।
    • जैविक कार्बन की कमी।
    • मिट्टी में उर्वरकों की आपूर्ति के माध्यम से खाद्य पोषक तत्वों का स्थिरीकरण। 
    • जल भराव वाली/ उथली/ गहरी भूमि
    • बार-बार फसलों के कारण मिट्टी में कोई आराम नहीं।
    • फसल चक्कर का न अपनाना और एक ही फसल की निरंतर खेती।
    • फसल पैटर्न में द्विबीजपत्री फसलों का समावेश न करना।
    • भारी पानी का लगातार उपयोग।
    • हरे खाद का उपयोग न करना। 

     6. उर्वरकों की दक्षता में सुधार के लिए उपाय (Measures to improve the efficiency of fertilizers)
    • सूखे मिट्टी में उर्वरकों को न फैंकें। इनका इस्तेमाल केवल तभी करें जब मिट्टी में उपयुक्त नमी की मात्रा हो।
    • बीज के ठीक नीचे उर्वरकों का इस्तेमाल करें।
    • उर्वरक को जड़ों के करीब डाला जाना चाहिए।
    • कोटेड उर्वरक/ ब्रिकेट /सुपर ग्रैन्यूल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
    • विकास के संवेदनशील चरण पर विचार करके चरणबद्ध तरीके से ही उर्वरकों का उपयोग किया जाना चाहिए।
    • तरल उर्वरकों का इस्तेमाल केवल सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से ही किया जाना चाहिए और पानी के अतिरिक्त उपयोग को टालना चाहिए।
    • अनाज के लिए 4:2:2:1 उर्वरक (नाइट्रोजन-फास्फोरस-पोटाश-सल्फर) और दालों के लिए 1:2:2:1 उर्वरक का इस्तेमाल करें।
    • खाद्य पोषक तत्वों के संतुलन को प्राप्त करने के फर्टिलाइजर्स का उपयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर की गई सिफारिशों के अनुसार किया जाना चाहिए। सूक्ष्म पोषक तत्वों को फसल पर छिड़का जाना चाहिए।
    • उर्वरकों का इस्तेमाल जैविक पदार्थों के साथ किया जाना चाहिए।
    • रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल जैविक पदार्थों के साथ किया जाना चाहिए।
    • जैविक उर्वरकों के नियमित उपयोग के द्वारा मिट्टी के पीएच मान को 6.5 और 7.5 के बीच बनाए रखें।
    • राइज़ोबियम, एज़ोटोबैक्टर, पीएसबी आदि जैसे जैव उर्वरकों का प्रयोग करें।
    • खारी या कपास वाली काली मिट्टी को जिप्सम जैव उर्वरक, गन्ना के सीरे, भंडारित खाद और प्रेसमूड जैसे 'मिट्टी सुधारक' मिलाकर सुधारा जा सकता है।
    • जिस मिट्टी में कैल्शियम कार्बोनेट की कमी हो उसमें जिप्सम का प्रयोग करें।

    7. सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व (Importance of Micronutrients)
    • यदि मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है, तो इसकी कमी को बदला जा सकता है और विभिन्न तरीकों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता बनाए रखी जा सकती है।
    8. मृदा की उर्वरता (Soil fertility)
    • कार्बनिक घटकों, जीवाणुओं और केंचुओं के अभाव में मृदा मृत बन जाती है। मिट्टी के गुणों को जाँचे बिना इसका पता नहीं लगाया जा सकता है। नतीजतन, अपेक्षित फसल उत्पादन के लिए योजना तैयार नहीं की जा सकती।

    9. मिट्टी की उर्वरता सुधारने के तरीके (Ways to improve soil fertility)
    • हरी खाद, फार्म खाद, कम्पोस्ट, वर्मीकंपोस्ट, प्रेसमड, मुर्गी की खाद और भेड़ अपशिष्ट जैसे उर्वरकों का प्रयोग न्यूनतम 5-7 टन प्रति हेक्टेयर किया जाना चाहिए।
    • फसलों की रोटेशन और रोटेशन में द्विबीजपत्री फसल का समावेश।
    • जैव-उर्वरकों के उपयोग के साथ-साथ उचित पूर्व और अंतर-खेती।
    • सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग।
    • खारी, अम्लीय और तेलीय मिट्टी में सुधार के लिए मिट्टी सुधारकों का उपयोग।
    • कृषि क्षेत्र में मिट्टी और जल संरक्षण।

    10. खाद्य पोषक तत्वों का समन्वित प्रबंधन (Integrated management of food nutrients)

    रासायनिक उर्वरकों, जैविक खादों, फसल के अवशेष, फसल परिवर्तन, अंतर-फसल और उसमें द्विबीजपत्री फसलों का उपयोग, हरी खाद और जैव-उर्वरकों का उपयोग, नाइट्रोजन सामग्री के स्थिरीकरण और सूक्ष्म पोषक तत्वों का उचित उपयोग इसमें शामिल है।

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