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    रासायनिक खाद से घट रहा मिट्टी का पोषण और इसके उपाय (Nutrition and its remedies for soil degradation of chemical fertilizers)


    रासायनिक खाद से घट रहा मिट्टी का पोषण और इसके उपाय (Nutrition and its remedies for soil degradation of chemical fertilizers)

          किसानों को उत्पादन बढ़ाने का दबाव उन्हें रासायनिक खाद का इस्तेमाल करने पर मजबूर कर रहा है। यही वजह है कि बस्तर के खेतों में नाइट्रोजन और जिंक की कमी साफ नजर आने लगी है।
    खेतों की मिट्टी में प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन और जिंक की मात्रा काफी कम हो रही है। इससे पौधों की कीट प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ा रहा है। उससे बचाव के लिए प्रयोग की जाने वाली रासायनिक खाद मिट्टी की उर्वरता पर और भी बुरा असर डाल रही है। स्थानीय कृषि विस्तार अधिकारी के के झा के अनुसार नाइट्रोजन की कमी जहां धान और मक्के की फसलों को प्रभावित कर रही है वहीं जिंक की कमी का असर सब्जियों की खेती पर पड़ रहा है जो किसानों को नकदी मदद मुहैया कराती हैं।
    किसान जमीन का पोषण संतुलित रख पाएं इसके लिए उनको मृदा कार्ड बांटे गए हैं। इन कार्ड में जमीन में पोषक तत्वों के संतुलन के उपाय और फसल चक्र के मुताबिक खेती करने की सलाह दी गई है। मिट्टी के नमूनों की जांच का काम जारी है। एक बार व्यापक आंकड़े सामने आने के बाद शासन कोई ठोस कदम उठाएगा।

    मृदा कार्ड (Soil card) :-
          केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय(भारत) ने मंगलवार को झज्जर के बीड़ सुनार वाला स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित राज्य स्तरीय विश्व मृदा दिवस कार्यक्रम में भूमि का हेल्थ कार्ड बनवाने के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए मोबाइल एप्लीकेशन को लांच किया।
    हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ओम प्रकाश धनखड़(२०१७) की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान लांच किए गए मोबाइल एप के जरिए किसान सॉयल हेल्थ के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कर सकेंगे। इसके एप के अतिरिक्त सॉयल हेल्थ कार्ड से संबंधित अधिक जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से विशेष रूप से तैयार की गई सॉयल हेल्थ डॉट डीएसी डॉट जीओवी डॅाट इन से भी प्राप्त की जा सकती है।
    इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने बताया कि सॉयल हेल्थ कार्ड बनाने व टेस्टिंग लैब स्थापित करने के लिए सभी राज्यों को केंद्र की ओर से मदद दी गई। जिसके चलते आज देश में दस करोड़ किसानों को सॉयल हेल्थ जारी हो चुके हैं।

    जैविक खाद का निर्माण (Manufacture of organic manure) :-
          कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को बताया कि कचरे के ऊपर खाद बनाने की पुरानी अवधारणा सही नहीं है। बल्कि उसे अच्छी जमीन पर बनाया जाना चाहिए। कचरे में हवा नहीं जाने से पैरा, पत्ते, आदि ठीक से सड़ नहीं पाते हैं। खाद बनाने के लिए इन सबको एकत्रित करके उस पर ट्राइकोडर्मा का छिड़कावा करें और 10 से 15 दिनों में उसे दो बार पलट दें। तीन महीने में इससे अच्छी खाद तैयार हो जाती है। यह बाजार में मिलने वाली किसी भी खाद से बेहतर होती है।
          उन्होंने किसानों को ट्राइकोडर्मा बनाने का तरीका भी समझाया। किसानों को चाहिए कि वे चावल से निकली कनकी को खौलते पानी में डालें और दो मिनट बाद उसे छन्नी से अलग कर लें। इसके 35-40 डिग्री तक ठंडा होने के बाद प्लास्टिक के एक डिब्बे में डालकर ट्राइकोडर्मा के दो कैप्सूल डाल दें। सात से आठ दिन में इसमें ट्राइकोडर्मा तैयार हो जाएगा। एक किलो ट्राइकोडर्मा खाद के साथ 10 किलो गोबर खाद मिलाकर बेहतरीन खाद तैयार की जा सकती है। यह जैविक खेती के लिए बेहतरीन होती है तथा एक अंतिम उपाय हमारे पास यही है कि हम जैविक खाद का उपयोग करें क्‍योंकि रसायनिक खाद हमे लाभ से ज्‍यादा नुकसान पहुचा रही है जिसका पता हमें बाद में चल रहा है तथा सभी किसान भाईयों से अनुरोध है कि वे जहां तक हो सके रसायनिक खाद को न कहें तथा हमारी पृथ्‍वी हो संतुलित बनाए रखे जिससे हमारी आने वाली पीढीयों को तकलीफ न हो।

    नोट :– जैविक खेती को किस तरह करें यह इस ब्‍लोग में लिखा हुआ है तथा सभी जानकारी और किसानों से भी  बाटें  तथा प्रकृति को प्रदुषण रहित बनाने में हमारा सहयोग दे।

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