किसान घर पर बनाएं जैविक खाद (Farmers make organic manure at home) :-
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (भारत) ने किसानों को फसल अवशेष जलाने के नुकसानों से अवगत कराया और उन्हें बताया कि कैसे उसे आग लगाने से मिट्टी के सूक्ष्म जीवों को भारी नुकसान पहुंचता है। जबकि अच्छी फसल हासिल करने के लिए ये सूक्ष्म जीव अत्यंत आवश्यक हैं। मिट्टी में अगर सूक्ष्म जीव ठीक-ठाक तादाद में हुए तो उत्पादन अपने आप बढ़ जाएगा।
कृषि वैज्ञानिक के पी वर्मा ने किसानों को बताया कि कचरे के ऊपर खाद बनाने की पुरानी अवधारणा सही नहीं है। बल्कि उसे अच्छी जमीन पर बनाया जाना चाहिए। कचरे में हवा नहीं जाने से पैरा, पत्ते, आदि ठीक से सड़ नहीं पाते हैं। खाद बनाने के लिए इन सबको एकत्रित करके उस पर ट्राइकोडर्मा का छिड़कावा करें और 10 से 15 दिनों में उसे दो बार पलट दें। तीन महीने में इससे अच्छी खाद तैयार हो जाती है। यह बाजार में मिलने वाली किसी भी खाद से बेहतर होती है।
उन्होंने किसानों को ट्राइकोडर्मा बनाने का तरीका भी समझाया। किसानों को चाहिए कि वे चावल से निकली कनकी को खौलते पानी में डालें और दो मिनट बाद उसे छन्नी से अलग कर लें। इसके 35-40 डिग्री तक ठंडा होने के बाद प्लास्टिक के एक डिब्बे में डालकर ट्राइकोडर्मा के दो कैप्सूल डाल दें। सात से आठ दिन में इसमें ट्राइकोडर्मा तैयार हो जाएगा। एक किलो ट्राइकोडर्मा खाद के साथ 10 किलो गोबर खाद मिलाकर बेहतरीन खाद तैयार की जा सकती है। यह जैविक खेती के लिए बेहतरीन होती है।
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