कर्जमाफी की मझधार में फंस गया अन्नदाता
Mach 15/2019
निहाल सिंह दाँगी चौबाराधीरा
विगत दो माह में तमाम तरह की प्रक्रिया व तीन अलग-अलग श्रेणियों के आवेदन जमा करने के बाद मध्य प्रदेश का किसान अब उस स्थिति में खड़ा है जहां वह न घर का शेष है न ही घाट का राज्य सरकार के चुनावी वायदे से बैंक के सामने इठलाता किसान अब बैंकों से असमंजस की स्थिति से उबरने के उपाय पूछने लगा है विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस ने वचनबद्धता के रूप में किसानों का ₹200000 तक का कर्ज सरकार गठन के 10 दिन में माफ करने का वचन दिया था किंतु सरकार बनने के बाद किसानों को काजी प्रक्रियाओं में पूजा दिया गया किसानों से तीन अलग-अलग रंगों में आवेदन जल्दबाजी में स्वीकार किए थे प्रथम चरण की कर्ज माफी प्रमाण पत्र वितरण के लिए राज्य की 383 तहसीलों में सरकारी कार्यक्रम आयोजित किए गए कार्यक्रमों के लिए सरकारी खजाने से लगभग ₹38 करोड़ खर्च किए और अब किसानों के मोबाइल में वह संदेश है जिसमें चुनाव आचार संहिता लगने की मजबूरी और कर्ज माफी के लिए संहिता हटने तक प्रतीक्षा करने को कहा जा रहा है अन्नदाता से इससे बड़ा क्रूर मजाक और क्या होगा राष्ट्रीय कृत बैंकों के लिए कर्ज़ अदा करने की अंतिम तिथि 31 मार्च निर्धारित है समय सीमा में कर्ज अदा न कर पाने की स्थिति में ब्याज वृद्धि के साथ बैंक के अधिकार भी आरोपित करने वाली है सरकार ने सहकारी बैंकों को कर्ज अदायगी की सीमा बढ़ाकर 15 जून अवश्य की लेकिन पिछला कर्ज ना मिलने की स्थिति में सभी बैंकों नया किसान क्रेडिट कार्ड लोन जारी नहीं करेगी वहीं अगली कर्ज़ प्रक्रिया बहुत विलम से प्रारंभ होगी जो किसान व बैंक दोनों के लिए परेशानी बनेगी किसानों के सम्मुख दूसरी सबसे बड़ी असमंजस की स्थिति यह है कि सरकारी समितियों पर गेहूं चना मसूर का समर्थन मूल्य पर विक्रय करने पर यह समितियां पुराना कर्ज काट कर भुगतान करेगी ऐसे में कर्ज माफी कैसे होगी यह बड़ा सवाल है इन हालातों से बचने के लिए किसानों के पास कोई विकल्प नहीं है सरकार द्वारा वितरित प्रमाण पत्रों में भी खुलासा नहीं है कि किसान का माफी योग्य कुल कर्ज कितना है और दो लाख तक के कर्जदार किसानों को जो प्रमाण पत्र दिए गए हैं उनमें ₹49999 तक की कर्ज माफी का जिक्र है जिसमें 500 से ₹38000 तक सरकारी बैंक की भी दिखाई गई है प्रशासन इसे प्रथम चरण में खाद बीज की ऋण माफी तक सीमित बताकर आस्वस्थ हुए था ।इंतजार करती रही आचार संहिता लागू होने का ,
किंतु मोबाइल संदेश से उत्पन्न हालात अराजकता पैदा करने वाले हैं सरकार को पता था कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता कभी भी लागू की जा सकती है बावजूद इसके वह इंतजार करती रही आचार संहिता लागू होने के कुछ ही क्षणों के पूर्व प्रदेश भर में प्रसारित माफीनामा संदेशों से प्रतीत होता है कि सरकार की यह तैयारी पूर्वक ही थी किसानों को माफी योग्य दिखाने में भी सरकार ने चतुर ता भर्ती जो घोषणा के क्रियान्वयन को संदिग्ध बनाती है यदि सरकार माफी योग्य कर्ज की कुल रकम बता देती तो किसान शेष राशि का इंतजाम कर अपनी कर्ज अदायगी से निश्चित हो सकता था लेकिन राज्य सरकार ने प्रदेश के अन्नदाता को सौगात देने के बजाय भृम और धोखे की मझधार में ला खड़ा किया है।
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