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    जैविक कीटनाशक एवं औषधियाँ बनाने के नुस्खे -- 2 (Tips for making organic pesticides and medicines - 2)


    जैविक कीटनाशक एवं औषधियाँ बनाने के नुस्खे (Tips for making organic pesticides and medicines)

    नीम खली के अर्क की दवा ,

    सामग्री ;
    5 किलो निबोली की खली या 3 किलो कुटी हुई निबोली !

    बनाने की विधि ;
    5 किलो निंबोली की खली को 15 लीटर पानी में 3 दिन तक भिंगोकर रख दें, चौथे दिन दारू निकाले, 100 ग्राम धतूरे का रस, 250 ग्राम हरी मिर्च कूटकर इसका तिन लीटर अर्क निकाले !

    उपयोग का तरीका व समय :
    1.5 लीटर अर्क को 15 लीटर पानी में मिलाकर सुबह – सुबह छिड़काव करें , यह दवा तने व पत्ते पर लगने वाली इल्ली, मच्छर व माहू के लिए असरकारक है ।

    अन्य छोटे घरेलू नुस्खे नीचे दिये गए है (Other small home remedies are given below)
    1. कपास में माहू लगने पर 250 – 300 ग्राम धतूरे के पत्ते व टहनियों को 5 लीटर पानी में भिगों दे फिर इसे कुनकुना गर्म करें , ठंडा करके फसल पर छिड़काव करते हैं जिससे तुरंत माहू मरने लगता है । नोट - इस दवा का प्रयोग एक माह पुरानी फसल पर ही करना चाहिए 
    2. निंबोल को पीसकर 100 ग्राम पावडर एक पौधे के चारों और 4 इंच गहराई में डालने से दीमक, गुबरैला, माहू आदि से छुटकारा मिलता है !
    3. गोमूत्र का सुबह – सुबह फसल पर छिड़काव करने से कीड़े के प्रथम प्रकोप पर नियंत्रण किया जा सकता है !
    4. बैगन व टमाटर पर चिट्टी रोग लग जाता हैं इस हेतु गाय के गोबर को पतला घोलकर पौधे की जड़ के पास डालते हैं 
    5. आलू के पत्ते मुरझाने पर 10 किलो लकड़ी की राख में 50 ग्राम फिनायल की गोली का पाउडर व 50 ग्राम तम्बाकू के पत्ते को मिलाकर मिश्रण बना कर सुबह – सुबह फसल पर छिडकने से लाभ होता है !
    6. बैगन, टमाटर, मिर्ची व अन्य सब्जियों पर लगने वाले कीड़ों को मारने के लिए लकड़ी की ठंडी राख सुबह – सुबह भुरके लाभ होगा !
    7. टमाटर की पत्तियों व टहनियों को उबालकर ठंडी कर फसल पर पत्ते खाने वाली हरी व कलि मक्खियों को मारने के लिये छिड़काव करे !
    8. करेले पर अर्धगोलाकार लाल भूरा रंग का कीड़ा जिस पर काले रंग के चकत्ते होते हैं ये सिगार के आकर के अण्डे  देते हैं इनसे पीले रंग की कांटेदार सुंडिया निकलती है ! ये कीड़े व सुंडियां दोनों पत्तों को खाते है ! इसे रोकने के लिए 60 ग्राम साधारण साबुन को आधा लीटर पानी के घोल में 1 लीटर नीम का तेल मिलाकर घोल तैयार करें , फिर इस घोल में 20 लीटर पानी अच्छी तरह से मिलाकर 400 ग्राम पीसी हुई लहसुन को घोले फिर छानकर फसल के पत्तों पर छिड़काव करें ।
    9. मिर्ची के फूल झड़ने से रोकने के लिए ईंट भट्टे से राख लाकर गोबर के साथ अच्छी तरह से मिलाकर पानी में पतला घोल बनाकर पौधों पर छिड़कने से लाभ होगा ,
    10. मक्का पर लगने वाली टिड्डी से बचने के लिए 3 किलो प्याज पीसकर उसका रस निकालकर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव देते हैं जिसकी गंध के कारण टिड्डी खेत के पास तक नही आती है ।
    11. वह इल्ली जो पौधों के पत्ते खाने के साथ – साथ तना खाकर पौधों को सूखा देती हैं इससे बचने के लिए 10 किलो नीम खली को पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें ।
    12. चने पर लगने वाली इल्ली से बचने के लिए 5 किलो अडूसा की टहनियों का रस निकालकर 10 लीटर पानी में मिलाकर 2 – 3 बार  कपड़े से छानकर 5 लीटर पानी मिलाकर सुबह – सुबह फसल पर छिड़काव करें !
    13. हरी इल्ली का गिदान से निदान , 10 लीटर गोमूत्र में 5 किलो गिदान की पत्तियाँ एवं 250 ग्राम लहसुन को बारीक पीसकर डाल दें इसे 48 घंटे तक गोमूत्र में पड़ा रहने दें तत्पश्चात इसको छानकर अर्क निकल लें ! 100 से 150 मि.ली. लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से चने की इल्ली तथा चितकबरी इल्ली पर प्रभावी नियंत्रण होता है ! इसका उपयोग कर जैविक कपास का उत्पादन लिया जासकता है ।
    14. 2 लीटर छाछ, 200 ग्राम तम्बाकू का पाउडर व 2 पत्ते ग्वारपाठा (धिंकुवर) को 15 लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के लिए रख देते हैं फिर छानकर 15 लीटर पानी में 100 ग्राम सत का 8 – 10 दिन के अंतराल से छिड़काव करने से मूंग का उत्पादन कीट नियंत्रण होकर अच्छा होता है !
    15. धान की फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए धान बोने के दस दिन बाद पानी भरे , खेत में इमली के बीज बिखेर दें ये बीज धीरे – धीरे सड़ जाएगा व पानी का रंग पीला पड़ जाएगा , जिससे उत्पादन में 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है !
    16. 1 किलो तम्बाकू की पत्ती को 10 लीटर पानी में आधे घंटे तक उबालकर ठंडाकर छानकर 20 ग्राम साबुन को अलग से 4.5 लीटर में अच्छे से घोलकर तम्बाकू के घोल में मिला लें | फिर 30 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करें ! इससे पत्ते काटने वाली इल्ली व हरे सफेद मच्छर, मखियों, तना भेदक इल्ली व डोडी खाने वाली इल्ली व कीड़े मर जाते हैं ! 
    17. एक किलो तम्बाकू को 200 ग्राम बुझे चूने को 10 लीटर गर्म पानी में एक दिन के लिए रखें फिर मसलकर छानकर 100 लीटर पानी मिलाकर फसल पर छिड़काव करें जिससे सफेद मक्खी, मच्छर, इल्ली व नरम शरीर वाले कीड़े मर जाते हैं ।
    18. नसेड़ी (बेशरम बेल) के पत्तों को कूटकर रस निकालें, 250 ग्राम रस व 20 ग्राम साबुन को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें जिससे मच्छर, मक्खी व इल्ली मर जाती है ।
    19. सनाय व नीम के बराबर मात्रा लेकर कूटकर रस निकाले, 250 ग्राम रस व 20 ग्राम साबुन को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें जिससे मच्छर, मक्खी व इल्ली मर जाती हैं !
    20. 10 लीटर छाछ को एक मटके में एक माह तक रखें | बाद में इसमें गेंहू का आटा आधा किलो मिलाए , इस मिश्रण को पतला करके चने के खेत में चने की इल्ली का नियंत्रण करने के लिए छिड़काव करें !
    21. चने का उकठा रोग (फ्यूजेरियम विल्ट) के नियंत्रण के लिए चने को छाछ से बीजोपचार करें , जिन खेतों में यह रोग होता हैं , उसमें चने को चार घंटे छाछ में भिगोने के बाद छांव में हलका सुखाकर बोए ! 
    22. बोगनविलिया की पत्तियों को कच्चे दूध से भिगोंकर रत भर रखें , दुसरे दिन सुबह इन पत्तियों को निचोड़कर उसका अर्क निकाल लें , इसका 10 प्रतिशत का घोल बनाकर तम्बाकू, टमाटर और मिर्च में होने वाले कुकड़ा रोग (चुर्रा – मुर्रा) को नियंत्रण करने के लिए छिड़काव करें !
    23. गोमूत्र का कीटनाशक के रूप में उपयोग करने के लिए गोमूत्र का 5 प्रतिशत  घोल का उपयोग करें , 10 लीटर देशी गाय का गोमूत्र तांबे के बर्तन में ले, उसमें नीम के एक किलो पत्ते डाले और 15 दिन तक गलने दें फिर उसे तांबे की कढ़ाई में उबालें, पचास प्रतिशत रह जाने पर नीचे उतार लें , छान लें, इस औषधी में सौ गुना पानी मिलाकर छिड़काव कर दें !
    24. 5 लीटर देशी गाय के मट्ठे में 5 किलो नीम के पत्ते डालकर 10 दिन तक सडाएं, बाद में नीम की पत्तियों को निचोड़ लें , इस नीम युक्त मिश्रण को छानकर 150 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के मान के समान रूप से फसल पर छिड़काव करें , इससे इल्ली व माहू का प्रभावी नियंत्रण होता है ।
    25. 5 लीटर मट्ठे में 1 किलो नीम के पत्ते व धतूरे के पत्ते डालकर 10 दिन सड़ने दें , इसके बाद मिश्रण को छानकर इल्लियों का नियंत्रण करें ।
    26. 5 किलो नीम के पत्ते 3 लीटर पानी में डालकर उबाल लें , जब आधा रह जाए तब उसे छानकर 150 लीटर पानी में घोल तैयार करें , इस मिश्रण में 2 लीटर गोमूत्र मिलाएं , अब यह मिश्रण एक एकड़ के मान से फसल पर छिडकें ।
    27. 1/2 किलो ग्राम हरी मिर्च व लहसुन पीसकर 150 लीटर पानी में डालकर छान लें तथा 1 एकड़ के लिए इस घोल का छिडकाव करें ।
    28. मारुदान, तुलसी (श्याम) तथा गेंदे के पौधे फसल के बीच में लगाने से इल्ली का नियंत्रण होता है । 
    29. मक्का के भुट्टे से दान निकालने के बाद जो गिन्ड़ियाँ बचती हैं , उन्हें एक मिट्टी के घड़े में इक्कठा कर लें , इस घड़े को खेत में इस प्रकार गाड़ें की घड़े का मुंह जमीन से कुछ बाहर निकला हो , घड़े के ऊपर कपड़ा बांध दें तथा उसमें पानी भर दें , कुछ दिनों में ही आप देखेंगे कि घड़े में दीमक भर गई है | इसके उपरांत घड़े को बाहर निकालकर गरम कर लें, ताकि दीमक समाप्त हो जाए । इस प्रकार के घड़े को खेत में 100 – 100 मीटर की दूरी पर गड़ाकर तथा करीब 5 बार गिन्ड़ियाँ बदलकर यह क्रिया दोहराएँ , खेत से दीमक समाप्त हो जाएगा  
    30. सुपारी के आकार की हींग एक कपड़े में लपेटकर तथा पत्थर में बांधकर खेत की ओर बहने वाले पानी की नाली में रख दें , उससे दीमक तथा उगरा रोग नष्ट हो जाएगा ।
    31. 5 लीटर देशी गाय के मट्टे में 5 किलोग्राम नीम के पत्ते डालकर 10 दिन तक सडाएं, बाद में नीम की पत्तियों को निचोड़ लें , इस नीम युक्त मिश्रण को छानकर 150 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के मान से समान रूप से फसल पर छिड़काव करें , इससे इल्ली व माहू का प्रभावी नियंत्रण होता है ।
    32. 5 लीटर मट्ठे में 1 किलोग्राम नीम के पत्ते व धतूरे के पत्ते डालकर 10 दिन सड़ने दें , इसके बाद मिश्रण को छानकर इल्लियों का नियंत्रण करें ।
    33. 5 किलोग्राम नीम के पत्ते 3 लीटर पानी में डालकर उबाल लें , जब आधा रह जाए तब उसे छानकर 150 लीटर पानी में घोल तैयार करें , इस मिश्रण में 2 लीटर गोमूत्र मिलाएं , अब यह मिश्रण 1 एकड़ के मान से फसल पर छिड़के ।
    34. ½ किलोग्राम हरी मिर्च व लहसुन पीसकर 150 लीटर पानी में डालकर छान लें तथा 1 एकड़ के लिए इस घोल का छिड़काव करें ।
    35. टिन की बनी चकरी खेतों में लगाने से भी इल्लियाँ गिर जाती है ।
    36. 1 लीटर मट्ठे में चने के आकार के हींग के टुकड़े मिलाकरउससे चने का बीजोपचार करें , तत्पश्चात बोनी करें ।सोयाबीन, उड़द, मूंग एवं मसूर के बीजों को अधिक गिला न करें 
    37. 400 ग्राम नीम के तेल में 100 ग्राम कपड़े धोने वाला पाउडर डालकर खूब फेंटे, फिर इस मिश्रण में 150 लीटर पानी डालकर घोल बनाएं , यह एक एकड़ के लिए पर्याप्त हैं ।
    38. नीम बीज के नौ ग्राम पाउडर को नौ लीटर पानी में मिलाकर 0.1 प्रतिशत सांद्रता का अवलम्बन बनाया जाता है । इसका छिड़काव करने से यह टिड्डी, आर्मी वर्म तथा पत्ती खाने वाले कीटों को रोकता है अर्थात कीटों को पौधे से दूर रखता हैं ।
    39. नीम बीज की निम्बोली पाउडर 1.2 किलोग्राम यदि 100 किलोग्राम गेहूं बीज में मिलाया जाए तो यह चावल की सूंडी तथा अन्य कीटों का नियंत्रण होता है ।
    40. 2 किलोग्राम कुचले हुए नीम बीज को यदि मूंग, चना, चावल के 100 किलोग्राम बीज में मिलाया जाए तो यह क्रमश: 8,9,एवं 12 महीने के लिए पल्स बीटल से सुरक्षा करता है ।
    41. सीताफल के बीज के तेल का 10 प्रतिशत इमल्शन छ्द्कें या सीताफल के बीज को एक – दो दिन पानी में भिंगोकर रखें और बीज को पीसकर अर्क को छानकर छिड़के । 
    42. सीताफल के बीज को भूरक – चूर्ण (डस्ट) का उपयोग महो, हरे मच्छर, इल्लियाँ, भृंग इत्यादी कीटों को नियंत्रित करता हैं, यह स्पर्श व उदर विष है ।
    43. सीताफल व अर्नी के बराबर पत्ते लेकर 1 लीटर पानी में उबलना व मसलकर छानकर रस एकत्र करें , 200 ग्राम रस में 10 लीटर पानी मिलाकर फसल पर छिड़काव करें ।
    44. 5 किलो धतुरा की पत्ती, तना व जड़ को कूटकर पतले थैले में बांध ले , खेत में सिंचाई करते समय जहाँ पाईप का पानी गिरता है वहां थैले में बंधी दवा को रख दें , इससे दीमक पर नियंत्रण होगा । 
    45. करंज वनस्पति व तुलसी के रसायन जीवाणु जनित के प्रति नैसर्गिक प्रतिरोधक शक्ति उत्पन्न होती है , यह रसायन फूल गोभी, मिर्च, टमाटर, के फल – सडन, कपास मिर्च के कोणीय धब्बे व नीबू संतरा, मोसमी के केंकर की रोकथाम करते है ।
    46. एक किलो राख को 10 लीटर पानी में मिलाकर रात भर रखें , उसके उपरांत उसे छानकर उसमें एक लीटर छाछ या मठा मिलायें , इस मिश्रण को तीन गुना पानी में मिलाकर छिड़काव करें । छिड़काव का विपरीत असर पत्तियों पर तो नहीं हैं । इसे देखने के लिए एक – दो पौधों प्र छिड़काव करके सुनिश्चित कर लें , इसके उपयोग से भभूतियाँ व लाल पत्तियों की समस्या का नियंत्रण संभावित है ।
    47. महुआ व इमली की छाल बराबर मात्रा में लेकर कूटकर रस निकालते हैं, 500 ग्राम रस को 15 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव सुबह – सुबह करें । कपास की डोडी को खाने वाली गुलाबी रंग व धब्बेदार कीड़ों को मरता हैं ।
    48. 50 ग्राम राख में 25 ग्राम चूना मिलाकर 4 – 5 लीटर पानी में मिलायें व थोड़ा समय रखें , तदोपरांत उसे छानकर डालने से ककड़ी के कीड़ों की रोकथाम में उपयोगी पाया गया है ।
    49. एक किलोग्राम राख में 10 – 15 .मि.ली. केरोसिन (मट्टी के तेल) को मिलाकर प्रात:काल में पौधों पर भुरकने से रस चूसने वाले कीड़ों की रोकथाम संभव है ।।  आवश्यकता अनुसार पांच – सात दिन के उपरांत पुन: भुरकाव करें ।

    नोट - उक्त घरेलू नुस्खे अपनाने से पहले अपने नजदीकी कृषि अधिकारी से सलाह जरूर ले !!! 

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