केंचुआ खाद कैसे बनाए और क्या सावधानी बरतनी चाहिए ? (How to make earthworm manure and what precautions should be taken?)
केंचुआ खाद कैसे बनाए और क्या सावधानी बरतनी चाहिए ? (How to make earthworm manure and what precautions should be taken?)
परिचय (introduction) :-
हमारी मिट्टी में रहनेवाला केंचुआ रोज अपने वजन के बराबर कचरा/मिट्टी खाता है और उससे मिट्टी की तरह दानेदार खाद बनाता है। भूमि की उपरी सतह पर रहनेवाले लंबे गहरे रंग के केंचुए जो अधिकतर बरसात के मौसम में दिखाई पड़ते हैं, खाद बनाने के लिए उपयुक्त हैं। भूमि की गहरी सतह में रहनेवाले सफेद मोटे केंचुए खाद बनाने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। केंचुए जमीन भी बनाते हैं जिससे मिट्टी में हवा का वहन होता है एवं मिट्टी की पानी धारण करने की क्षमता बढ़ती है।
केंचुए हेतु अच्छा भोजन तैयार करना (Preparing good food for earthworms) :-
केंचुए गर्मी बर्दाश्त नहीं कर सकते। उन्हें किसी भी प्रकार का कच्चा कचरा, कच्चा गोबर भोजन के रूप में नहीं दिया जा सकता। कच्चे गोबर के विघटन की प्रक्रिया के दौरान उससे गर्मी उत्पन्न हो सकती है जो केंचुओं के लिए हानिकारक होती है।
अत: हमारे खेत में उत्पन्न होने वाले कचरे एवं गोबर को अलग से सड़ाना आवश्यक है। इसके लिए पेड़ की छांव में 5′ ग 5′ ग 5′ फुट के ढेर बनाए जा सकते हैं। इस ढेर में कचरे का हर एक थर 5-7 इंच तक मोटा हो सकता है। हर एक थर को गोबर पानी से भिगोकर उस पर दूसरा थर चढ़ा सकते हैं। यदि सूखा अथवा ताजा गोबर उपलब्ध है तो कचरे के थर के उपर गोबर का एक थर (2-3 इंच) चढ़ाया जा सकता है। इसे भी नम करना आवश्यक है। इस तरह परत के उपर परत चढ़ाकर 5 फुट तक उंचा ढेर बनाया जा सकता है। पूरे ढेर को काले प्लास्टिक से ढंकना अनिवार्य है, यदि काला प्लास्टिक न हो तो पूरे ढेर को अच्छी तरह मिट्टी से ढंककर गोबर से लिपाई कर दें। ढेर में 2-3 दिन के अंतर से हल्का-हल्का पानी छिड़कना जरूरी है, ताकि नमी बनी रहे। 15 दिन बाद इस ढेर को पलटना जरूरी है ताकि उसकी गर्मी निकल जाए। 30 दिन बाद ढेर को अच्छी तरह फैला दें।
उसकी गर्मी निकलने के बाद उसे वर्मी बेड में केंचुओ के भोजन के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है। इस तरह सड़ाया हुआ कचरा केंचुओ के लिये अच्छा भोजन है।
केंचुआ खाद तैयार करना (Earthworm Composting) :-
केंचुए सूर्य का प्रकाश एवं अधिक तापमान सहन नहीं कर सकते इसलिए केंचुआ खाद के उत्पादन के लिए छायादार जगह का होना आवश्यक है। यदि पेड़ की छाया उपलब्ध न हो तो लकड़ी गाड़कर कच्चे घास फूस का शेड बनाया जा सकता है। यदि बड़े पैमाने में व्यावसायिक स्तर पर खाद का उत्पादन करना हो तो पक्का टिन अथवा सिमेंट की चद्दर का उपयोग करके शेड बनाया जा सकता है। केंचुआ खाद उत्पादन के लिए वर्मी बेड बनाए जाते हैं जिसकी लंबाई 20 फुट तक हो सकती है किन्तु चौड़ाई 4 फुट से अधिक एवं ऊंचाई 2 फुट से अधिक नहीं होनी चाहिए।
20 फुट लंबे 1 वर्मी बेड में करीब 1000 किलो तक सड़ा हुआ कचरा डाला जा सकता है। इसमें शुरूआत में 1000 केंचुए डालना आवश्यक है। रोज बेड में हल्का-हल्का पानी छिड़कना आवश्यक है ताकि 50 से 60 प्रतिशत नमी कायम रहे और बेड का तापमान 200 से 250 तक बना रहे। पूरे बेड को घास के पतले थर अथवा टाट की बोरियों से ढकना आवश्यक है ताकि सतह से नमी का वाष्पीकरण हो।
बेड बनाने का तरीका (How to make beds) :-
इस बेड में पहले नीचे की तरफ ईंट के टुकड़े (3”-4”) फिर उपर रेत (2”) एवं मिट्टी (3”) का थर दिया जाता है जिससे विपरीत परिस्थिति में केंचुए इस बेड के अंदर सुरक्षित रह सके। इस बेड के ऊपर 6 से 12 इंच तक पुराना सड़ा हुआ कचरा केंचुओ के भोजन के रूप में डाला जाता है।
40 से 50 दिन के बाद जब घास की परत अथवा टाट बोरी हटाने के बादन हल्की दानेदार खाद ऊपर दिखाई पड़े, तब खाद के बेड में पानी देना बंद कर देना चाहिए। ऊपर की खाद सूखने से केंचुए धीरे-धीरे अंदर चले जाएंगे। ऊपर की खाद के छोटे-छोटे ढेर बेड में ही बनाकर एक दिन वैसे ही रखना चाहिए। दूसरे दिन उस खाद को निकालकर बेड के नजदीक में उसका ढेर कर लें। खाली किए गए बेड में पुन: दूसरा कचरा जो केंचुओ के भोजन हेतु तैयार किया गया हो, डाल दें। खाद के ढेर के आसपास गोल घेरे में थोड़ा पुराना गोबर फैला दें और उसे गीला रखें। इसके ऊपर घास ढंक दें। इस प्रक्रिया में खाद में जो केचुएं रह गए हैं वे धीरे-धीरे गोबर में आ जाते हैं। इस तरह 2-3 दिन बाद खाद केंचुओं से मुक्त हो जाती है। बचे कचरे को केंचुओं सहित नजदीक के वर्मी बेड में डाल देते हैं। खाद को छानकर बोरी में पेक कर दें अथवा छायादार जगह में एक गङ्ढे में एकत्र करें और इस गङ्ढे को ढककर रखें ताकि खाद में नमी बनी रहे। इस प्रकार एक बेड से करीब 500 से 600 किलो केंचुआ खाद 30-40 दिन में प्राप्त होती है।
केंचुओं के दुश्मन व सावधानी (Earthworm enemies and caution) :-
केंचुआ हमें अच्छी खाद प्रदान करता है। केंचुओं द्वारा मिट्टी में लगातार उपर- नीचे आवागमन से मिट्टी सछिद्र बनती है जिससे उसमें हवा का वहन अच्छा होता है एवं मिट्टी की पानी धारण क्षमता बढ़ती है। मिट्टी में केंचुओ की उपस्थिति मिट्टी को उपजाऊ बनाती है। इसलिए केंचुओं को किसान का मित्र कहा जाता है। किन्तु किसान मित्र केचुओं के कुछ प्राकृतिक दुश्मन भी हैं। केंचुओं के प्राकृतिक दुश्मन इस प्रकार हैं :- (1) लाल चींटी (2) मुर्गी (3) मेढक (4) सांप (5) गिरगिट एवं (6) कुछ मिट्टी में रहने वाले कीड़े अथवा मांसभक्षी जीव (जो केंचुओं की तरह ही होते हैं मगर केंचुओं को खाते हैं।
बचाव व सावधानी(Safety and caution) :-
(1)इन सबसे बचने के लिए केंचुओं को नर्सरी की जमीन के ऊपर के स्थान पर रखना चाहिए।
(2) वर्मी बेड को अच्छी तरह पहले घास से या फिर हल्के कांटों से ढ़कना चाहिए।
(3) केंचुआ खाद के शेड के चारों तरफ नाली खोदकर उसमें पानी भर देने से चींटीयों से रक्षा होती है।
(4) शेड के चारों ओर कांटेदार बाड़ लगाने से मुर्गियां अंदर नहीं आ सकेंगी।
(5) समय-समय पर वर्मी बेड का परीक्षण करना आवश्यक है ताकि हमें यह जानकारी मिले कि किसी दुश्मन की वजह से केंचुओं का नुकसान तो नहीं हो रहा है।
(6) लाल चींटीयों से बचाने के लिए वर्मी बेड में नीचे के थर पर राख का छिड़काव किया जाता है।
(7) यदि वर्मी बेड में चीटीयां हो गई हों तब 20 लीटर पानी में 100 ग्राम मिर्च पाउडर, 100 ग्राम हल्दी पाउडर, 100 ग्राम नमक एवं थोड़ा साबुन डालकर उसका हल्का-हल्का छिड़काव वर्मी बेड में किए जाने से चींटीयां भाग जाती हैं।
(8) यदि रसोईघर के कचरे से वर्मी कम्पोस्ट बना रहे हों तो वर्मी कम्पोस्ट इकाई को कम से कम जमीन से 2 फुट उपर रखना चाहिए ताकि उसमें चींटीयां नहीं जा पाएं।
(9) रसोईघर के कचरे के साथ पके हुए भोजन की जूठन न डाले। इसकी वजह से चींटीयां आती हैं।
(10) यदि वर्मी बेड में चीटीयां हो गई हों तो बेड के किनारे-किनारे गोमुत्र में पानी मिलाकर छिड़कने से भी चींटीयां भाग जाती हैं।
केंचुआ खाद के गुण (Earthworm fertilizer properties) :-
इस तरह बनाए गए केंचुआ खाद में न सिर्फ नाइट्रोजन, पोटैशियम एवं फास्फोरस होता है वरन सभी 16 प्रकार के सूक्ष्म पोषक द्रव्य उपस्थित होते हैं। इसके साथ ही इसमें सेंद्रीय पदार्थ एवं उपयोगी जीवाणु होते हैं। इस खाद को जमीन में डालने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति एवं सजीव शक्ति बढ़ती है। 2-3 वर्षों तक केंचुआ खाद जमीन में डालने पर भूमि पूरी तरह उपजाऊ हो जाएगी एवं किसी भी तरह की रासायनिक खाद को डालने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसके साथ ही कीटों का प्रकोप कम हो जाएगा जिससे रासायनिक कीटनाशक की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
केंचुआ खाद के उपयोग की मात्रा (Volume of earthworm manure) :-
(1) पौधे के एक गमले के लिए जिसमें 8 से 10 किलो मिट्टी डाली गई हो, 100 से 200 ग्राम केंचुआ खाद पर्याप्त है। केंचुआ खाद हर 3 महीने के बाद यदि आवश्यकता हो तो पुन: डाली जा सकती है।
(2) एक पेड़ में 1 से 10 किलो तक केंचुआ खाद डाली जा सकती है। खाद की मात्रा पेड़ के आकार अथवा उम्र के अनुसार बढ़ेगी।
(3) एक एकड़ के लिए कम से कम पहले वर्ष 2000 किलो खाद डालना आवश्यक है। उसके बाद अगले वर्ष में सिर्फ 1000 किलो खाद डालने से भी अच्छे परिणाम आएंगे। कम्पोस्ट खाद डालते समय उसमें कम से कम 15 से 20 प्रतिशत नमी होना आवश्यक है ताकि उसकी जीवाणु शक्ति सक्रिय रहे।
केंचुआ खाद के साथ रासायनिक खाद का प्रयोग कम से कम अथवा नहीं के बराबर करें। रासायनिक खाद के उपयोग से जैविक खाद की जीवाणु शक्ति का नुकसान होता है जिससे हमारी भूमि की उर्वरता बढ़ाने में इस खाद का उपयोग नहीं हो सकेगा। केंचुआ खाद उत्तम खाद है। यह हमारी भूमि के लिए ही नहीं वरन पेड़ पौधों व फसलों के लिए भी संपूर्ण भोजन है। इसके उपयोग से हमारी फसल स्वस्थ होगी, उसकी गुणवत्ता बढ़ेगी एवं किसान आत्मनिर्भर बनेंगे।
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