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    भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने तैयार की गेहूं की नई किस्में, जो किसानों की आय दुगनी करने में करेगी मदद

     भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने तैयार की गेहूं की नई किस्में, जो किसानों की आय दुगनी करने में करेगी मदद (Indian Agricultural Research Institute has prepared new varieties of wheat, which will help farmers to double their income)

                              (प्रतीकात्मक चित्र)
    28 August 2020 (karnal) hariyana किसान इस समय प्रकतिक आपदाओं की मार झेल रहा है , ऐसे में उसके लिए ये एक खुसखबरी के रूप में एक खबर आई है ।

    2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह प्रयासरत है। इस कार्य में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने एक कदम बढ़ाते हुए गेहूं की 10 और जो कि एक नई किस्म इजाद की है, जिसकी न केवल पैदावार बहुत अच्छी है अपितु ये बीमारी रोधी भी हैं। इसमें 9 किस्में भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल तथा गेहूं की एक किस्म चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार ने ईजाद की है।

    इसको लेकर भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल में अखिल भारतीय गेहूं एवं जो अनुसंधानकर्ताओं की 59 वी कार्यशाला का ऑनलाइन आयोजन हुआ। इस कार्यशाला में देश के विभिन्न क्षेत्रों से गेहूं और जौ विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।  2019 के दौरान हुई प्रगति की समीक्षा करने और 2020-21 के लिए अनुसंधान गतिविधियों को खाका तैयार करने के लिए बैठक का आयोजन किया था।

    किसानों के लिए इन किस्मों को जारी करते हुए राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप ने बताया कि इन किस्मों की पैदावार बहुत अच्छी है इन किस्मों की खेती करने से किसानों की आर्थिक स्थिति में क्रांतिकारी सुधार होगा। पहले भारत में उगे जौ का प्रयोग दूसरे देशों में बियर के लिए नहीं होता था लेकिन यह जौ श्रेष्ठ किस्म है, इससे बेहतर किस्म की बियर बनेगी इससे खासकर दक्षिणी हरियाणा और राजस्थान के किसानों को इसका सीधा फायदा होगा।
    उन्होंने बताया कि इस बार देश भर में गेहूं की 10 किस्मों की पहचान की गई है। 

    • इसमें उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के लिए एचडी 3292, डीबीडब्ल्यू 187 अगेती बीबीडब्ल्यू 303 और 1270, 
    • उत्तरी पूर्वी मैदानी क्षेत्र के लिए एचडी 3293 मध्य क्षेत्र के लिए सीजी 1029 एच आई 1634 प्रदीप क्षेत्र के लिए बीडी-डब्ल्यू 48एच, आई 1633 देर से बुआई के लिए 1149 
    • उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के लिए खेतों के लिए एक माल्ट जो किस्म डब्ल्यू आरबी 182 की पहचान की गई है। हमारी कोशिश होगी कि हर किसान तक यह बीज पहुंचे।


    उनका कहना था इससे ही आने वाले समय में किसानों की आय दुगनी की जा सकती है। कार्यशाला में समिति ने 12 प्रस्तावों पर विचार किया और सर्वसम्मति से उनमें से 11 किस्मों को मंजूरी दी।

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